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Written By भाषा
Last Modified: सोमवार, 4 मार्च 2013 (08:56 IST)

अगले वित्त वर्ष में 6.5 फीसदी की वृद्धि का लक्ष्य- मोंटेक

मोंटेक सिंह अहलूवालिया
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नई दिल्ली। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा है कि अगले वित्त वर्ष के लिए 6.5 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान उचित है। हालांकि, अहलूवालिया का कहना है कि उनकी वृद्धि दर को लेकर उम्मीद बहुत तक इस बार पर निर्भर करती है कि सरकार वृद्धि की राह में आ रही अड़चनों को दूर करने में कामयाब रहेगी।

अहलूवालिया ने सीएनएन-आईबीएम के एक कार्यक्रम में कहा कि यदि आप वृद्धि की राह में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए सुधारात्मक उपाय करने में सफल रहते हैं, तो 6.5 फीसदी की वृद्धि दर का अनुमान मुश्किल नहीं है। यह वृद्धि दर बहुत हद तक दायरे में है।

अहलूवालिया ने कहा कि पिछले दशक की देश की 7.3 से 7.4 फीसदी की वृद्धि दर के औसत को देखते हुए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करना पहुंच में है।

अर्थव्यवस्था में मौजूदा चुनौतियों का जिक्र करते हुए अहलूवालिया ने कहा कि अभी सबसे बड़ी चुनौती भारी सूक्ष्म असंतुलन का है, बेहद ऊंचा राजकोषीय घाटा है। अब हमें इसे संतुलन में लाना है। विदेशी पूंजी के प्रवाह के कम होने के जोखिम को दूर करने को राजकोषीय घाटे में कमी लाना जरूरी है। बजट ने यह बड़ा संदेश दिया है।

यह पूछे जाने पर कि क्या वित्त मंत्री ने चालू वित्त वर्ष के राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 5.2 फीसदी पर रखने के लिए ही योजनागत व्यय में 92,000 करोड़ रुपए की भारी कटौती की है, अहलूवालियया ने कहा कि यह इस वजह से हो पाया है क्योंकि वित्त मंत्री ने कड़े नियमों को लागू किया है।

उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे का 4.8 फीसदी का लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। क्या पेट्रोलियम सब्सिडी का बढ़ता बोझ सरकार के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पाने में बाधक होगा, इस सवाल पर योजना आयोग के उपाध्यक्ष ने होगा, ‘सारी डीजल सब्सिडी बजट से नहीं दी जाएगी। इसमें से कुछ घाटे का बोझ कंपनियां खुद उठाएंगी, जिससे इसका बजट पर बोझ अधिक नहीं पड़े।’

यह पूछे जाने पर कि क्या वित्त मंत्री ने चालू वित्त वर्ष में सब्सिडी के भुगतान को राजकोषीय घाटे को 5.2 फीसदी पर रखने के लिए अगले साल के लिए टाला है, अहलूवालिया ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि बजट से कुछ किया गया है। यह संभव है कि इस साल दी जाने वाली कुछ सब्सिडी अगले साल दी जाए, पर साथ ही पिछले साल की कुछ सब्सिडी का भुगतान इस साल किया गया हो। मुझे नहीं लगता कि इससे कुछ फर्क पड़ता है। (भाषा)