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Last Modified: शुक्रवार, 4 दिसंबर 2020 (12:42 IST)

Motivational Story : उल्लू, सांप और चूहा

Motivational Story : उल्लू, सांप और चूहा - Short Motivational Story In Hindi
यह स्टोरी हमें सोशल मीडिया से प्राप्त हुई है। बहुत की प्रेरक है जो निश्‍चित ही इसे सभी के साथ सांझा किया जाना चाहिए। पता नहीं यह किसने लिखी है जिसने भी लिखी है अच्छी लिखी है। आओ जानते हैं एक दो उल्लू, एक सांप और एक चूहे की कहानी।
 
दो उल्लू एक वृक्ष पर बैठे थे, एक के पंजे में सांप और दूसरे के पंजे में चूहा दबा हुआ था। सांप ने चूहे को देखा तो उसे देखकर उसके मुंह से लार टपकने लगी और वह भूल ही गया कि मैं उल्लू के पंजे में मौत के करीब ही हूं। दूसरी ओर सांप को देखकर चूहा डर गया और वह भी भूल गया कि मैं तो पहले से ही उल्लू के पंजे में दबा होकर मौत के मुंह में हूं।
 
 
दोनों ये भूल ही गए कि हम तो पहले से ही मौत के शिकंजे में फंसे हैं। दोनों को ही अपनी अपनी जान बचाना है। परंतु दोनों ही भूल गए। यह देखकर दोनों उल्लू बड़े हैरान हुए, एक उल्लू ने दूसरे से पूछा कि इससे क्या सिद्ध होता है? दूसरे ने कहा कि इसे यही सिद्ध होता है कि जीभ की इच्छा इतनी प्रबल है कि सामने मृत्यु खड़ी हो तो भी दिखाई नहीं पड़ती। दूसरा यह भी समझ में आया कि भय या डर तो मौत से भी बड़ा है। यह चूहा सांप से भयभित हो गया है परंतु वह यह नहीं सोच रहा कि वह पहले से ही मौत के पंजे में दबा है। मौत सामने खड़ी है, चूहा उससे भयभीत नहीं है लेकिन भय से भयभीत है कि कहीं सांप हमला न कर दे। 
 
इससे यही सिद्ध होता है कि मौत से हम भयभीत नहीं हैं, हम भय से ज्यादा भयभीत हैं और इंद्रियों का लोभ इतना प्रगाढ़ है कि मौत चौबीस घंटे खड़ी है, तो भी हमें दिखाई नहीं पड़ती और हम जीभ के स्वाद में फंसे हुए हैं।