'दिल्ली चलो।' यह समाचार जिसने सुना, वह चल पड़ा था। पंजाब राज्य ने पूछा- आप कौन? तमिलनाडु ने जवाब दिया- मुझे तमिलनाडु कहते हैं। भरतनाट्यम मेरे यहां फलता-फूलता है।
पंजाब ने बताया- मैं पंजाब हूं। गुरुनानक की जन्मभूमि। दोनों चलने लगे। किसी ने पुकारा- इधर आओ, मैं केरल हूं। चाय, कॉफी, जूट, रबर और काजू की फसलें लहलहाता हूं। सब आगे बढ़ गए।
उन्हें उत्तरप्रदेश मिला। कहने लगा- मैं राम और कृष्ण की जन्मभूमि हूं। ताजमहल भी मेरे यहां है। तभी बर्फीली हवा चलने लगी। उत्तराखंड सामने खड़ा था। कहने लगा- चौंक गए न! मैं हिमालय की गोद में बसा हूं। बर्फ से ढंकी चोटियां मुझ पर ही टिकी हैं। मुझे उत्तराखंड कहते हैं।
जो भी मिलता, वह अपनी शान में कुछ न कुछ कहता। खुद को बड़ा और दूसरों को छोटा बताने की होड़ मचने लगी। कई राज्य एक-दूसरे से मिल रहे थे। अचानक महाराष्ट्र बोल पड़ा- मेरे जैसा कोई नहीं। मेरी शान के क्या कहने। मुंबई मेरी राजधानी है। उत्तरप्रदेश ने ललकारा- सबसे अधिक आबादी का भार मैं उठाता हूं। मैं सबसे खास हूं।
राजस्थान ने टोका- चुप रहो। सबसे अधिक भूमि मेरे पास है। मीरा और राणा प्रताप जैसे कई वीर मेरी पहचान हैं। मेरा एक-एक कण साहस, बलिदान और वीरता से भरा है। तभी केरल हंसने लगा- मेरी भूमि का आम जन पढ़ा-लिखा है। सौ फीसदी। कोई है मेरे जैसा?
शोर बढ़ने लगा। तभी एक नन्हा-सा राज्य बीच में आ गया। किसी ने पूछा तो वह बोला- मैं दिल्ली हूं। तुम सबकी राजधानी। कोई चिल्लाया- हमारी तो अपनी राजधानी है। तुम हमारी राजधानी कैसे हो सकती हो? नन्हा राज्य बोला- पहले पास तो आओ। पूरब से आए राज्य एक ओर इकट्ठा होने लगे। पश्चिम से आए राज्यों ने भी ऐसा ही किया। उत्तर और दक्षिण के राज्य भी नजदीक आने लगे।
मध्यप्रदेश खुशी से चिल्ला उठा। बोला- मेरे चारों ओर आओ। सब मध्यप्रदेश की ओर बढ़ने लगे। सबने एक नया आकार बना लिया। सब खुश हो गए। दिल्ली ने कहा- यह हुई न बात। आप सबने मिलकर 'भारत' बना लिया।
जम्मू-कश्मीर ने कहा- और तुम हमारी राजधानी बन गई हो। चलो, आओ गाएं। खुशियां मनाएं। हर कोई एक से बढ़कर एक संगीत सुनाने के लिए तैयार हो चुका था।