मंगलवार, 16 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. Poems for mother
Written By

मदर्स डे पर कविता : स्नेहभरी बातें

मदर्स डे पर कविता : स्नेहभरी बातें - Poems for mother
मां, चिट्ठी कैसी होती थी,
मुझको जरा दिखाना।
पढ़ चिट्ठी कैसा लगता था,
मुझको जरा बताना।।
 
क्या लिखती थीं दादी-नानी,
उस प्यारी चिट्ठी में?
क्या चेहरा दिखता था उनका,
उस न्यारी चिट्ठी में।।
 
सुन बालक की भोली बातें,
मां का मन हर्षाया।
होता क्या था चिट्ठी में,
मां ने उसे बताया।।
 
चिट्ठी में होती थीं बेटा,
कई गांव की बातें।
रहट-बैल की बातें होतीं,
धूप-छांव की बातें।।
 
बातें होती थीं झूलों की,
बातें थीं सावन की।
बातें पनिहारिन-पनघट की,
बातें घर-आंगन की।।
 
पूछा करती थी चिट्ठी में,
दादी तेरा हाल।
लिखती फागुन में आ जाओ,
खेलेंगे रंग-गुलाल।।
 
अमराई की गूंज भरी,
बातें होती चिट्ठी में।
खेतों की बातें होती थीं,
गंध जहां मिट्टी में।।
 
नीम-बेल, तुलसी चौरे की,
नानी बातें करती।
पढ़ सखियों की बातें मेरी,
आंखें झर-झर झरतीं।।
 
जैसे तुम कम्प्यूटर में ही,
देख सभी को पाते।
देख फिल्म, टीवी तुम हर दिन,
अपना मन बहलाते।।
 
बेटा स्नेहभरी वे चिट्ठियां,
मेरा मन बहलाती।
लगा कल्पना पंख सलोने,
मैं सबको मिल जाती।। 
 
- सुकीर्ति भटनागर (देवपुत्र)