दीपावली पर कविता: चलो मनाएं दिवाली
चलो मनाएं दिवाली हम,
सीधे सादे ढंग से।
बिजली की लपझप लड़ियों का,
मोह इस बरस त्यागें।
ढेर पटाखे ढेर बमों के,
पीछे हम ना भागें।
मने दिवाली मुस्कानों की,
फुलझड़ियों के रंग से।
भाई चारे की बाती से,
हम दीपक उजयारें।
अहंकार के रावण को इस,
दिवाली पर मारें।
गले मिलें हम सब आपस में,
खुशियों भरी उमंग से।
मन की मलिन भावनाओं का,
करना हमें विसर्जन।
करुणा दया प्रेम समता का,
हो घर-घर में पूजन।
झूठ छलावों को छोड़ें हम,
छोड़ सकें जिस ढंग से।
बहुत लगाए विष के पौधे,
फूले फूल घृणा के।
ओढ़ स्वार्थ की चादर भागे,
पीछे मृग तृष्णा के।
दूर रहें झूठी मायावी,
दुनिया के हुड़दंग से।
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