कविता: चना चंद की नाक
गेहूं सिंह ने चना चंद के,
कान पकड़कर खींचे।
धक्का खाकर चना चंदजी,
गिरे धम्म से नीचे।
टेढ़ी हो गई चना चंद की,
लंबी प्यारी नाक।
पर दुनिया में किसी तरह से,
बचा पाए वे साख।
चना चंद की गेहूं सिंह से,
अब भी पक्की यारी।
कान पकड़कर गेहूं सिंह ने,
बोल दिया था सॉरी।