• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. Holi Hai
Written By Author प्रभुदयाल श्रीवास्तव

होली कविता : हो-हल्ला है, होली है...

Holi Hai
उड़े रंगों के गुब्बारे हैं,
घर आ धमके हुरयारे हैं।
मस्तानों की टोली है,
हो-हल्ला है, होली है।


 
मुंह बंदर-सा लाल किसी का, 
रंगा गुलाबी भाल किसी का।
कोयल जैसे काले रंग का, 
पड़ा दिखाई गाल किसी का।
कानाफूसी कुछ लोगों में, 
खाई भांग की गोली है।
 
ढोल-ढमाका ढम-ढम-ढम-ढम, 
नाचे-कूदे फूल गया दम।
उछल रहे हैं सब मस्ती में।
शोर-शराबा है बस्ती में।
कुछ बच्चों ने नल पर जाकर, 
अपनी सूरत धो ली है।
 
छुपे पेड़ के पीछे बल्लू,
पकड़ खींचकर लाए लल्लू।
समझ गए अब बचना मुश्किल, 
लगे जोर से हंसने खिल-खिल।
गड़बड़िया ने उन्हें देखकर, 
रंग की पुड़िया घोली है।
 
हुरयारों की बल्ले-बल्ले,
गुझिया, लड्डू और रसगुल्ले।
मजे-मजे से खाते जाते,
रंग-अबीर उड़ाते जाते।
द्वेष राग की गांठ बंधी थी, 
आज सभी ने खोली है।