गुरुवार, 14 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. कविता
  4. Childrens poem
Last Updated : शनिवार, 21 सितम्बर 2024 (16:58 IST)

मनोरंजक बाल कविता : खुशबू की पिचकारी

मनोरंजक बाल कविता : खुशबू की पिचकारी - Childrens poem
भोर हुई तो नीड़ छोड़कर,
पंछी दौड़े लाने चून।
धूप खिली तो हौले-हौले,
बगियों में खिल गए प्रसून।
 
तेज हवा में डोली डाली,
थिरक-थिरक कर पत्ते नाचे।
किरणों के हरकारों ने भी,
मौसम के कुछ पर्चे बांटे।
उड़कर पत्ते पहुंचे चेन्नई,
कुछ जा पहुंचे देहरादून।
 
फूलों ने भी धीरे-धीरे,
छोड़ी खुशबू की पिचकारी।
सुध बुध खो बैठी फुलबगिया,
महक उठी है दुनिया दारी।
कुछ की खुशबू पहुंची काबुल,
कुछ की पहुंच गई रंगून।
 
फूल पत्तियों डालों का तो,
काम, मस्तियां मौज लुटाना।
बिना दाम के, बिन मांगे ही,
खुशियों को घर-घर पहुंचाना।
और उड़ाना आसमान में,
नव उमंग के नव बैलून।
 
(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
ये भी पढ़ें
International Daughters Day 2024: अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस क्यों मनाया जाता है?