मनोरंजक कविता : बिल्ले से बोली बिल्ली
- प्रभात
बिल्ले से बोली बिल्ली
अगर ना मिली दिल्ली
अगर ना मिली दिल्ली
मैं कुछ ऐसा कर जाऊंगी
आसिफ की मुर्गी के अंडे
खाकर मर जाऊंगी
च्याऊं से बोली म्याऊं
अगर ना मिला म्याऊं
अगर ना मिला म्याऊं
मैं कुछ ऐसा कर जाऊंगी
प्याऊं प्याऊं प्याऊं
रोती-रोती मर जाऊंगी
बकरे से बोली बकरी
अगर ना मिली पपड़ी
अगर ना मिली पपड़ी
मैं कुछ ऐसा कर जाऊंगी
हलवाई के थाल की रबड़ी
खाकर मर जाऊंगी
घोड़े से बोली घोड़ी
गर ना मिली कचौड़ी
गर ना मिली कचौड़ी
मैं कुछ ऐसा कर जाऊंगी
सड़क छोड़ कच्चे रस्ते में
जाकर मर जाऊंगी।
(यह कविता हमें 'प्रभात' ने भेजी है जयपुर से)