मंगलवार, 8 अक्टूबर 2024
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Written By WD

करवा चौथ : मन का रिश्ता होता रहे प्रगाढ़

करवा चौथ : मन का रिश्ता होता रहे प्रगाढ़ - karwa chauth
दमके दाम्पत्य की दीप्ति
 
करवा के निर्जला उपवास में दमकती है, उनके दाम्पत्य की दीप्ति... चांद को देखती हैं और फिर अपने चांद से पति को... भी तो वह चांद की तरह लगती हैं... एक खूबसूरत रिश्ता जो साल-दर-साल मजबूत होता चला जाता है करवा चौथ के दिन...।

करवा चौथ पर दिन भर उपवास के बाद शाम को महिलाएं नई दुल्हन की तरह सज-संवर कर पूजा करती हैं। मिलना-मिलाना, हंसी-ठिठोली यह सब भी चलता रहता है...। और फिर उसके बाद बारी आती है चांद के दीदार की, जिसमें पत्नियां चांद और पति का दर्शन करके व्रत खोलती है।
 
शाम होते ही महिलाएं करवा माता की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ करती हैं। चीनी मिट्टी के करवे की अदला-बदली करने के बाद बयाना दिया जाता है, जिसमें सात पूरियां, गुलगुले, मिठाइयां आदि का चांद को अर्घ्य दिया जाता है।
 
करवा चौथ के दिन सुबह से भूखी-प्यासी महिलाएं पूरा सोलह-श्रृंगार कर नई दुल्हन की तरह सजती हैं और बस इंतजार होता है सिर्फ चांद का। चांद के इंतजार में छत पर टकटकी लगाए बैठीं महिलाएं पति के घर पहुंचने के बाद ही व्रत खोलती हैं। सारा परिवार उत्सव में शामिल होता है। आजकल बदलते दौर में करवा चौथ के दिन पति भी पत्नी की सुखी दांपत्य की कामना करते हैं। ताकि उनका आगे का पूरा जीवन सुखमय और चांद सा दमकता रहे।

करवा चौथ का महत्व :- इस पर्व को मनाने के पीछे महिलाओं के पति प्रेम, पारिवारिक सुख-समृद्धि एवं सामाजिक प्रतिष्ठा के साथ-साथ भारतीय नारियों के त्यागमय जीवन के दर्शन होते हैं।

इस पर्व में महिलाओं द्वारा किया जाने वाला श्रृंगार वास्तव में प्रकृति का श्रृंगार है। प्रकृति और पुरुष के रूप में पत्नी और पति के शुभ संकल्पों की उदार भावना का यह पर्व वेद की इस ऋचा का अनुपालन है।
 
भारतीय नारी के त्याग एवं समर्पण के कारण ही उसे देवी शक्ति के रूप में मान्यता मिली है। धार्मिक, सांस्कृतिक एव सामाजिक प्रतिष्ठा के कार्यों द्वारा भारतीय नारियां विश्व की श्रेष्ठ नारियों में हैं। पारिवारिक संतुलन के लिए भारतीय नारी का धैर्य एवं सहनशीलता ही उन्हें पूजनीय बनाती है। (वेबदुनिया डेस्क)