विविध लग्न और वर्ष 2010
कैसा रहेगा साल आपके लग्नानुसार
मेष लग्न : 2010 मेष राशि का स्वामी मंगल वर्षारम्भ से 2 मई तक नीच का रहेगा। यह समय इस लग्न वालों के लिए सफलताओं में बाधा का कारण बनेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। पारिवारिक मामलों में वाद-विवाद से बचकर चलें। मातृ पक्ष चिन्ता का कारण रह सकता है। 21 जुलाई से कन्या राशि में शनि के साथ रहने के कारण स्वास्थ्य, मानसिक परेशानी, व्यापार, नौकरी आदि में बाधा का कारण बनेगा। जोखिम के कार्य में हाथ ना डालें। प्रत्येक शनिवार को एक कटोरी में सरसों या तिल का तेल भरकर अपना मुँह देखकर डाकोतिया को दें।6
सितम्बर से मंगल तुला में रहेगा जो 21 अक्टूबर तक रहेगा इस समयावधि में जीवन साथी के बारे में चिन्ता रहेगी। दैनिक व्यापार-व्यवसाय में कमी महसूस करेगें। इसके बाद वृश्चिक व धनु में रहेगा जो अनुकूल परिणाम देगा। कन्या का शनि शत्रुओं पर भारी पड़ेगा व कर्ज की स्थिति से राहत दिलाएगा। इस लग्नवालों को गुरु मिले-जुले परिणाम देगा। बाहरी संबंधों में सुधार व लाभ की स्थिति देगा। मूँगा सवा पाँच रत्ती का ताबें मे लॉकेट बनवाकर गले में धारण करने से लाभ होगा। वृषभ लग्न : 2010 वृषभ राशि वालों का स्वामी शुक्र का गोचरीय भ्रमण वर्षारम्भ में गुरु की धनु राशि में भ्रमण करेगा जो अष्टम भाव से होने के कारण परिश्रम अधिक कराएगा व परिणाम कम मिलेगें। शुक्र जब-जब मकर, कुंभ, मीन, वृषभ, कर्क तुला में गोचरीय भ्रमण करेगा तब-तब लाभ के अवसर आएँगे। व्यापार-व्यवसाय में उन्नति होगी, पारिवारिक लाभ रहेगा, दाम्पत्य जीवन में मधुर वातावरण रहेगा, वाहनादि की प्राप्ति भी संभव है। शनि का गोचरीय भ्रमण पंचम भाव से होने के कारण भाग्य में उन्नति, कर्मक्षेत्र में वृद्धि होकर सफलता भी मिलेगी। गुरु का गोचरीय भ्रमण कुंभ व मीन में वर्ष भर रहेगा जो आर्थिक लाभ देगा। स्वास्थ्य ठीक रहेगा। नीचस्थ मंगल या मंगल जब भी शनि के साथ होगा तब संभल कर चलना चाहिए। विशेषकर जीवन साथी के मामलों में। ऐसी स्थिति में अपनी आयु से एक ज्यादा साबुत बादाम शुद्ध जल में प्रवाहित करें। मिथुन लग्न : 2010 मिथुन राशि का स्वामी बुध वर्षारम्भ में धनु राशि में होकर सप्तम से गोचर भ्रमण कर रहा है जो जीवनसाथी के सहयोग से कार्य में प्रगति देगा, लेकिन राहु के नीचस्थ होकर साथ होने से कुछ कष्टकारी भी रहेगा। बुध जब-जब मकर, कुंभ, मिथुन, कन्या से भ्रमण करेगा तब-तब उत्तम सफलतादायक रहेगा। इस स्थिति में धन, व्यापार, नौकरी में सहायक भी होगा। शनि का गोचरीय भ्रमण चतुर्थ भाव से होने के कारण माता, भूमि भवन, जनता से संबंधित मामलों मे लाभान्वित करेगा। स्थानीय राजनीति में भी लाभकारी रहेगा। गुरु अपना गोचर-भ्रमण नवम व दशम भाव से भ्रमण करेगा जो लाभकारी होने के साथ-साथ प्रगतिदायक भी होगा। अविवाहितों के लिए यह वर्ष अति शुभ परिणाम देगा। व्यापार-व्यवसाय में तथा नौकरी में अनुकूल रहेगा। नवीन कार्य योजनाओं में भी सफलता मिलेगी। सवा पाँच रत्ती का पन्ना अवश्य पहनें। कर्क लग्न : 2010 कर्क लग्न वालों का स्वामी चन्द्र है जो सवा दो दिन में एक राशि बदलता है। वर्षारम्भ में चन्द्र मिथुन राशि पर होने से कार्य में उत्तम सफलता के आसार है। बाहरी संबंधों में सफल यात्रा के योग भी बनते है। चन्द्र जब-जब कर्क, वृषभ में होगा तब उत्तम सफलता देगा। चन्द्र जब वृश्चिक राशि में होगा तब मानसिक परेशानी व कार्य में देरी का कारण भी बनेगा। बाकि राशियों में उनके स्वामी की स्थिति अनुसार फलदायक रहेगा। जब-जब गुरु का साथ मिलेगा तब-तब महत्वपूर्ण कार्यों में सफलता मिलेगी। जब-जब चन्द्र-सूर्य की युति बनेगी तब-तब मनसिक चिन्ता बढ़ेगी। गुरु कर्क लग्न से अष्टम गोचरीय भ्रमण करने के कारण भाग्य में कुछ रूकावट के बाद सफलताकारक रहेगा। शनि का गोचरीय भ्रमण तृतीय भाव से होने के कारण पराक्रम में वृद्धि,भाई का साथ, मित्रों से सहयोग आदि प्राप्त होगा। शत्रु वर्ग प्रभावहीन होंगे। संचार माध्यम से शुभ समाचार मिलेगा। चन्द्र ग्रहण से वर्षारम्भ होने के कारण आपको नित्य प्रतिदिन गायत्री मन्त्र का जाप करना शुभ परिणाम देगा। शुभ मुहूर्त में उत्तम मोती का लॉकेट चाँदी में बनवाकर धारण करें,लाभ होगा। सिंह लग्न : 2010 सिंह लग्न वालों का स्वामी सूर्य है जो वर्षारम्भ में ही ग्रहण से ग्रस्त है साथ ही बुध व शुक्र के होने से आर्थिक मामलों में सावधानी रखना होगी। परिश्रम अधिक करने पर ही सफलता मिलेगी। स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा। जोखिम के कार्यों से बचकर चलें। महत्वपूर्ण कार्य कुछ दिनों के लिए टालें। जब-जब सूर्य मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु व मीन में आएगा तब-तब लाभ के योग बनेंगे। महत्वपूर्ण कार्य भी होगें। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। मान सम्मान बढ़ेगा। गुरु का गोचरीय भ्रमण पूरे वर्ष में सिंह लग्न से सप्तम व अष्टम भाव से होगा। इस समय गुरु वैवाहिक जीवन के लिए ठीक-ठीक रहेगा। शनि का गोचरीय भ्रमण द्वितीय भाव से जीवनसाथी से लाभ देगा। दैनिक व्यवसाय में सफलतादायक समय रहेगा। नीच का राहु पंचम भ्रमण करने से थोड़ी सावधानी रखने का समय रहेगा। विशेषकर विद्यार्थी वर्ग व सन्तान पक्ष के लिए सावधानी की आवश्यकता है। राहु की शांति हेतु महामृत्युंजय के मन्त्रों का जाप करना श्रेष्ठ रहेगा।
कन्या लग्न : 2010 कन्या लग्न वालों को शनि का गोचरीय भ्रमण लग्न से मित्र राशि में होने की वजह से व शनि की साढ़ेसाती चलने से पूरे वर्ष परिश्रम का समय रहेगा। वैसे आपके कार्य बनते रहेगें, सन्तान पक्ष के कार्य में सहयोग देना होगा, विद्यार्थी वर्ग अतिरिक्त मेहनत करें तो उत्तम परिणाम की आशा कर सकते हैं। इस लग्न का स्वामी बुध ग्रहण से ग्रस्त होने के कारण महत्वपूर्ण कार्य कुछ दिनों के लिए टाल दें व ग्रहण के बाद शुभ मुहूर्त में ही कार्य करें। बुध जब-जब कन्या, मिथुन, सिंह, मकर, कुंभ, मेष या वृश्चिक में आएगा तब-तब लाभ व सहयोग मिलता रहेगा। गुरु का गोचरीय भ्रमण षष्ट व सप्तम भाव से पूरे वर्ष में होगा जो वैवाहिक जीवन व अविवाहितों के लिए शुभ परिणाम देगा। राहु का गोचरीय भ्रमण चतुर्थ भाव से होने के कारण माता के स्वास्थ्य में कमी, स्थानीय राजनीति में बाधक बनेगा व मकान-भूमि की समस्या खड़ी कर सकता है। जमीन-जायजाद के मामलों में वाद-विवाद का कारण भी बन सकता है। ऐसी स्थिति में राहु की शांति करना शुभ फलदायक होगा। यथा भूरा कम्बल एक दिन ओढ़ कर दूसरे दिन दान करें। तुला लग्न : 2010 तुला लग्न वालों का स्वामी शुक्र है जो वर्षारम्भ में तृतीय भाव से गुरु की राशि धनु से भ्रमण करने से पराक्रम के साथ सफलतादायक होगा। बहनों का सहयोग मिलेगा, संचार माध्यम से शुभ समाचार भी सुनेंगे। सोच-विचार कर कोई कार्य आरंभ करें क्योंकि लग्न का स्वामी शुक्र ग्रहण से पीड़ित है जो वर्षारम्भ में है। शुक्र जब-जब तुला, वृषभ, मकर, कुंभ, मीन से गोचर भ्रमण करेगा तब-तब लाभ के मामलों में सफलता मिलेगी। इस लग्न में शनि का गोचरीय भ्रमण द्वादश भाव से हो रहा है जो उच्चाभिलाषी होने के कारण महत्वाकांक्षा को बढ़ाएगा। बाहरी संबंधों में सुधार होगा। वैसे शनि की लगती साढ़ेसाती व मध्य की साढ़ेसाती लाभदायक रहेगी। शनि जब उच्च का होगा तब जीवनसाथी को कष्ट देगा। गुरु का इस लग्न में पंचम व षष्ट भाव से भ्रमण पूरे वर्ष भर रहेगा। जो सन्तान, विद्या नाना, मामा, चौपायों व कृषि-कार्य में लाभदायक होगा। राहु का तृतीय भाव से भ्रमण छोटे भाई के मामलों में व साझेदारी के मामलों में कष्ट देगा। ऐसी स्थिति में सात प्रकार का अनाज दान करने से कष्टों में कमी आएगी। वृश्चिक लग्न : 2010 वृश्चिक लग्न का स्वामी मंगल है जो वर्षारम्भ में नीच का होकर नवम (भाग्य भाव) से ग्रहण काल में है ऐसी स्थिति होने से भाग्य में रूकावटों का सामना करना पडता है स्वास्थ्य में भी गड़बड़ी रहती है। अधिक परिश्रम करने पर भी उत्तम सफलता नहीं मिलती। मंगल की नीच स्थिति 2 मई तक रहेगी इस समयावधि में महत्वपूर्ण कार्य करने से बचें। मकान आदि के मामलों में ना पड़े। इसके पश्चात सिंह का मंगल 20 जुलाई तक रहेगा यह समय उम्मीदों भरा रहेगा। आपके कार्य बनेंगे व महत्वपूर्ण कार्य करनें का उत्तम अवसर है। 21 जुलाई से कन्या में शनि के साथ होने से बनते कार्य में बाधा, दुर्घटना के योग भी बनेगें। अतः संभल कर चलना होगा। वाद-विवाद से बचें। व्यापार आदि में सावधानी रखें। आर्थिक सावधानी भी बरतना होगी। द्वादश से तुला में भ्रमण करने से बाहरी ममलों में सभलकर चलें। मंगल की उत्तम स्थिति वृश्चिक तथा मीन में आने पर बनेगी। अत: कामकाज में व धन के मामलों में अनुकूलता रहेगी। शनि का गोचरीय भ्रमण एकादश से होने के कारण आर्थिक लाभ भी मिलेगा। गुरु का भ्रमण चतुर्थ व पंचम भाव से पूरे वर्ष में होगा जो आपके लिए सुखद भी रहेगा। राहु नीचस्थ होकर द्वितीय भाव में होने के कारण वाणी में संयम रखे। धनु लग्न : 2010 धनु लग्न का स्वामी गुरु है जो इस वर्षारम्भ में तृतीय भाव से गोचर-भ्रमण कर रहा है। शनि की राशि में होने के कारण परिश्रम अधिक कराएगा। महत्वपूर्ण कार्य में भी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। गुरु जब मीन में आएगा तब परिवारिक मामलों व मकान संबंधी समस्याओं का समाधान होगा। मातृपक्ष का सहयोग भी मिलेगा स्थानीय राजनीति में भी सफलता के योग बनेंगे। जनता से संबंधी कार्य भी बनेंगे। स्वास्थ्य ठीक रहेगा। सोचे कार्य में प्रगति होगी। शनि का गोचर भ्रमण दशम (कर्म भाव) में होने से व्यापार-व्यवसाय में या नौकरी में, पिता के सहयोग से लाभ होगा। इस लग्न वालों को राहु लग्न से गोचर भ्रमण करने के कारण मानसिक चिन्ता का कारण भी रहेगा। स्थानातंरण के योग भी बन सकते है। वर्षारम्भ के कुछ मास चिन्ता के रह सकते हैं। गुरु के मीन में आने से राहु का नीच भंग होगा इस वजह से शुभ परिणाम मिलेगें। पूरे वर्ष पुखराज पहनना शुभ रहेगा। मकर लग्न : 2010 मकर लग्न का स्वामी शनि है जो वर्षारम्भ में नवम भाव से बुध की मित्र राशि कन्या पर भ्रमण करने से उत्साह बढ़ाएगा, मान सम्मान में भी वृद्धि होगी। प्रयत्नपूर्वक किए गए कार्य में सफलता मिलेगी, भाग्योन्नति में वृद्धि पाएँगे। स्वास्थ्य ठीक रहेगा, इष्ट मित्रों का सहयोग मिलेगा। धन-कुटुम्ब का सहयोग मिलेगा, कामकाज में प्रगति होगी। गुरु का गोचर भ्रमण द्वितीय (धन-कुटुम्ब भाव) व तृतीय भाव (पराक्रम) से पूरे वर्ष में रहने से कार्यों में मित्र-परिवार वालों के सहयोग से लाभ मिलेगा। अविवाहितों के लिए समय ठीक रहेगा। मकर लग्न वालों के लिए राहु का द्वादश से भ्रमण बाहरी मामलों में सावधानी रखने का संकेत देता है। यात्रा में सावधानी रखना होगी। गुप्त शत्रुओं से परेशानी का होगी। हिम्मत व धैर्य से कार्य करने पर आप ही विजय होंगे। राहु के अशुभ प्रभाव को दूर करनें के लिए रात्रि में सौंफ सिरहाने रख कर सोएँ। इस प्रकार राहु के अशुभ प्रभाव में कमी आती है व कष्टों को सहने की हिम्मत बढ़ती है। कुंभ लग्न : 2010 कुंभ लग्न का स्वामी शनि वर्षारम्भ में अष्टम भाव से गोचर भ्रमण करने के कारण आयु में वृद्धि करता है। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। परिश्रम अधिक करने पर सफलता मिलेगी। बाहरी मामलों में अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है। यात्रादि के मामलों में सावधानी रखकर चलना होगा। लेन-देन के मामलों में सावधानी रखना होगी। गुरु का इस लग्न वालों के लिए गोचर भ्रमण लग्न व द्वितीय भाव से पूरे वर्ष में होगा। इसके फलस्वरूप राज्य, व्यापार-व्यवसाय के मामलों में या नौकरी में अनुकूल स्थिति का वातावरण रहेगा। पिता का, कुटुम्ब-जन का सहयोग मिलेगा। वाणी का प्रभाव बढ़ेगा, बचत के योग बनेंगे। इस लग्न में राहु का गोचर भ्रमण एकादश भाव में होने के कारण जोखिम के कार्य में धन न लगाएँ। अकस्मात खर्च की स्थिति बनेगी। अपव्यय से बचें। बड़े भाईयों के कार्य में धन खर्च होनें की संभावना रहेगी। राहु का बुरा फल मिलता हो तो भूरे कम्बल का दान करें। मीन लग्न : 2010 मीन लग्न का स्वामी गुरु है, जो वर्षारम्भ में द्वादश व लग्न से भ्रमण करने के कारण प्रारम्भ में भागदौड कराएगा। लेकिन अन्ततः कार्य में सफलता पाएँगे। गुरु का मीन से गोचर भ्रमण आपके लिए सुखदायक रहेगा। महत्वपूर्ण कार्य बनेंगे। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। अविवाहितों के लिए भी समय अनुकूल रहेगा। मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। बड़े व्यक्तियों से सम्पर्क होगा जो लाभदायक रहेगा। शनि का गोचर भ्रमण इस लग्न वालों के लिए सप्तम भाव से हो रहा है। इस वजह से जीवनसाथी से लाभ मिलेगा। इस समयावधि में जीवनसाथी को पेट से संबंधित तकलीफ हो सकती है। राहु का गोचर भ्रमण दशम भाव से होने के कारण पिता के व्यवसाय में फेरबदल होने की संभावना है। स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है। गुरु जब मीन में रहेगा तब राहु के दुष्परिणाम नहीं मिलेंगे। राहु के अशुभ फल के निवारण के लिए शहद से पूरी भरी शीशी शनिवार को अपने ऊपर से उतार कर सुनसान जमीन में गाड़ दें।