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मध्यप्रदेश में अगले दो दिनों में अच्छी बारिश की दावत के आसार बन गए हैं। लेकिन झमाझम बरसात के लिए लोगों को जुलाई के आखिरी हफ्ते तक इंतजार करना पड़ेगा। हालाँकि मौजूदा बौछारों ने खरीफ और खासतौर से सोयाबीन की फसलों को नया जीवन दे दिया है। साथ ही दोबारा बोवनी की आशंका भी टल गई है।
मौसम विभाग के अनुसार पिछले हफ्ते मानसून द्रोणिका अपने सामान्य पथ से भटककर हिमालय की ओर जा पहुँची थी। जिससे मानसूनी गतिविधियाँ हिमालय और उसकी तराई वाले क्षेत्रों में सिमट गईं थीं। उम्मीद की किरण यही थी कि हिमालय के निकट जाने के बावजूद मानसून द्रोणिका का एक सिरा पूर्वी बंगाल की खाड़ी की ओर जा रहा था। इसी के सहारे नमी की आवक और छोटे सिस्टमों के चलते पूर्वी और देश के मध्य इलाकों में बारिश का दौर चलता रहा।
अब आने वाले दो-तीन दिनों में देश के दूसरे राज्यों के साथ मध्यप्रदेश में अच्छी बारिश देखने को मिलेगी, क्योंकि मानसून द्रोणिका हिमालय के दामन से वापस खिसककर अपनी सामान्य धुरी की तरफ लौट आई है। शुक्रवार को यह बीकानेर, जयपुर से शुरू होकर मप्र के शिवपुरी, उमरिया और छत्तीसगढ़ के चांपा से गुजरते हुए पूर्वी मध्य बंगाल की खाड़ी में जा रही है। इसी के कारण दक्षिण पूर्वी मप्र में चक्रवातीय हवाओं का एक वृत्त भी बन गया है। इस कारण अगले दो दिनों में मप्र में कहीं-कहीं भारी बारिश भी हो सकती है। खासतौर से पश्चिमी मप्र में बीते हफ्ते की कसर पूरी हो सकती है।

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24 जुलाई से होगी झमाझम : इसके बाद द्रोणिका के 23 जुलाई के आसपास ही वापस देश के मध्यवर्ती इलाकों की ओर लौटेगा। मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि 24 से 31 जुलाई के बीच अरब सागर में भूमध्यरेखीय प्रवाह तेज होने तथा द्रोणिका के बंगाल की खाड़ी की ओर झुकने के बाद पूर्वी भारत के साथ मध्य भारत और उसके पठारी इलाकों में मानसून की जोरदार खेप पहुँचेगी।