गुरुवार, 13 फ़रवरी 2025
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Written By WD

जयवीयराय सूत्र

जयवीयराय सूत्र -
(फिर दोनों हाथों को जोड़कर मस्तक को लगाकर जयवीयराय सूत्र कहना)

जयवीयराय जगगुरु होउ ममं तुह पभावओ भयवं ।
भवनिव्वेओ मग्गाणुसारिआ इट्ठ-फल सिद्धि ॥1॥

लोग-विरुद्धच्चाओ, गुरुजण-पूआ परत्थकरणं च ।
सुहगुरु-जोगो तव्वयण-सेवणा आभवमखंडा ॥2॥

(फिर हाथ कुछ नीचे उतारकर जयवीयराय पूरा कहना)

वारिज्जइ जइवि नियाण बंधणं वीयराव तुह समए ।
तहवि म हुज्ज सेवा, भवे भवे तुम्ह चलणाणं ॥3॥

दुक्खक्खओ कम्मक्खओ, समाहि मरणं च बोहिलाभो अ ।
संपज्जउ मह एअं, तुह नाह! पणाम करणेणं ॥4॥

सर्व मंगल मांगल्यं, सर्व-कल्याण कारणं ।
प्रधानं सर्व धर्माणां, जैनं जयति शासनम्‌ ॥5॥

(फिर खड़े होकर दोनों हाथ जोड़कर)

अरिहंत चेइआणं, करेमि काउसग्गं ॥1॥

वंदण वत्तिआए, पूअण वत्तिआए, सक्कारवत्तिआए, सम्माण वत्तिआए, बोहिलाभ वत्तिआए, निरुवसग्ग वत्तिआए ॥2॥

सद्धाए, मेहाए, धिइए, धारणाए, अणुप्पेहाए, वढ्ढमाणीए ठामि काउसग्गं ।

अन्नत्थ ऊससिएणं नीससिएणं, खासिएणं, छीएणं, जंभाइएणं, उडडुएणं वायनिसग्गेणं, भमलीए पित्तमुच्छाए ॥1॥

सुहुमेहिं अंगसंचालेहिं, सुहुमेहिं खेल - संचालेहिं, सुहुमेहिं दिट्ठि संचालेहिं ॥2॥

एवमाइएहिं आगारेहिं अभग्गो अविराहिओ, हुज्ज में काउसग्गो ॥3॥

जाव अरिहंताणं भगवंताणं नमुक्कारेणं न पारेमि ॥4॥

तावकायं ठाणेणं, मोणेणं, झाणेणं अप्पाणं वोसिरामि ॥5॥

(फिर एक नवकार का काउसग्ग करके 'णमो अरिहंताणं' कहकर पारना और 'नमोऽर्हत्‌ सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुभ्यः' कहकर स्तुति कहना।)