...तो मार डालो नवजात शिशुओं को
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के दो पूर्व शोधकर्ताओं ने एक अजीबो गरीब मुद्दा उठाया है। इन शिक्षाविदों का कहना है कि नवजात शिशुओं को मारने को कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए। द सन में प्रकाशित खबर के अनुसार फ्रांसिस्का मिनेर्वा और डॉक्टर एल्बोर्टो जीइबुनि ने इस बारे में तर्क दिया कि भ्रूण और नवजात शिशु में कोई फर्क नहीं होता इसलिए अगर जन्म लेने के बाद यह पाया जाए कि शिशु में किसी तरह की कोई कमी है और उसका विकास पूरी तरह नहीं हुआ है तथा वह मानसिक या शारीरिक रूप से अपंग है और भविष्य में अपने परिवार और समाज पर बोझ बनेगा तो उसे जान से मारने का कानून बनना चाहिए।इन दोनों शिक्षाविदों ने इसे जन्म के बाद भ्रूण खत्म करने की संज्ञा दी। ऑस्ट्रेलियाई मूल के इन शिक्षाविदों की यह अजीब मांग ब्रिटिश मेडीकल के मेडीकल एथिक्स कॉलम में प्रकाशित हुई है। इस आलेख में कहा गया है कि सिर्फ मानवता के नाम पर किसी परिवार या समाज पर बोझ नहीं डाला जा सकता। हालांकि इन शिक्षाविदों ने अविकसित नवजात शिशु को मारने की न्यूनतम आयु का उल्लेख नहीं किया। (एजेंसियां)