पाकिस्तान के एक आला सुरक्षा अधिकारी ने बुधवार को कहा कि मुंबई हमलों में शामिल होने के साक्ष्य पाए जाने पर जमात उद दावा और अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रधानमंत्री के सलाहकार मोहम्मद अली दुर्रानी ने कहा कि जमात के खिलाफ हमलों में शामिल होने संबंधी सबूत मिले तो उसे प्रतिबंधित कर दिया जाएगा।
दुर्रानी ने जियो न्यूज चैनल से कहा कि जाँच के दौरान किसी भी संगठन के खिलाफ कोई भी साक्ष्य मिला तो उस पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।
दुर्रानी की टिप्पणी में पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र में राजदूत अब्दुल्ला हुसैन हारून के बयान की छाप दिखाई देती है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जमात पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के निवेदन पर उसकी सम्पत्ति जब्त की जा सकती है।
हुसैन ने यह बयान तब दिया, जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने सुरक्षा परिषद प्रस्ताव 1267 के तहत जमात उद दावा को आंतकवादी संगठन घोषित करने के लिए कहा।
सुरक्षा परिषद का प्रस्ताव 1267 अलकायदा, ओसामा बिन लादेन और तालिबान के समर्थक लोगों और समूहों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगाता है और उनकी सम्पत्ति जब्त करने की अनुमति देता है।
आज दोपहर मुल्तान में बात करते हुए प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने भी संकेत दिया कि सरकार का मानना है कि जमात लश्कर से संबंधित संगठन है। उन्होंने कहा कि हाल में जमात पर कार्रवाई भारत के दबाव में नहीं की गई है और वर्ष 2002 से ही अमेरिका ने इसके प्रति चिंता जाहिर की थी।
उन्होंने कहा कि लश्कर पर पहले ही प्रतिबंध लगाया गया था। लश्कर के प्रमुख सदस्य जमात उद दावा के सदस्य बन गए। ये सभी एक समान हैं।