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Last Modified: गुरुवार, 16 नवंबर 2017 (16:58 IST)

ग्रेस मुगाबे ने बढ़ाई राष्ट्रपति की मुश्किल

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ग्रेस मुगाबे ने बढ़ाई राष्ट्रपति की मुश्किल - supposed army coup in zimbabwe
हरारे। पिछले मंगलवार को जब अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे की राजधानी हरारे की सड़कों पर सेना के टैंक दिखे तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ गई कि कहीं राष्ट्रपति मुगाबे को सेना ने अपदस्थ करके सत्ता पर कब्जा नहीं कर लिया हो। हरारे के उत्तरी इलाकों में गोलीबारी की भी खबरें आईं और इसके बाद बुधवार सुबह घोषणा हुई कि सेना ने देश के राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे और उनकी पत्नी को नजरबंद कर लिया है। 
 
इसे सैन्य तख्तापलट बताया जा रहा है लेकिन जिम्बाब्वे की सेना इससे इनकार कर रही है और यह भी कह रही है कि उनका मिशन पूरा होने के बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या देश में इतना सब रातों-रात हुआ या फिर इसके पीछे लंबे समय से चला आ रहा असंतोष और सेना-सत्ता के बीच चल रहा संघर्ष जिम्मेदार है? 
 
सेना के हस्तक्षेप की वजह ? 
 
जिम्बाब्वे की सेना ने सरकारी टीवी चैनल को अपने कब्जे में ले लिया था। इसके बाद सेना के प्रवक्ता ने घोषणा की कि वह  राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे के करीबियों को निशाना बना रही है। मेजर जनरल सिबुसिसो मोयो ने ऊंची आवाज में यह बताया कि देश में बढ़ रही आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए सैन्य हस्तक्षेप की जरूरत पड़ी।

उन्होंने कहा, 'जब हम अपना मिशन पूरा कर लेंगे, तब स्थिति सामान्य हो जाएगी।' उन्होंने कहा कि अगर इस समस्या को अभी सुलझाया न गया तो यह हिंसक रूप ले लेता। जनरल मोयो ने बताया कि 93 साल के राष्ट्रपति और उनका परिवार सुरक्षित है। 
 
सत्ताधारी जानू पीएफ पार्टी में उठापटक ? 

दरअसल राष्ट्रपति मुगाबे ने बीते सप्ताह उप राष्ट्रपति एमर्सन नानगांग्वा को उनके पद से हटा दिया था। मुगाबे ने अपनी पत्नी ग्रेस मुगाबे को उप राष्ट्रपति बनाने के लिए ऐसा किया। नानगांग्वा की सेना में बहुत लोकप्रियता है और उनको पद से हटाए जाने के बाद पैदा हुई स्थिति को सेना की तरफ से चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है। जनरल कंस्टैटिनो शिवेंगा ने बयान दिया था कि अगर पार्टी में नानगांग्वा के सहयोगियों को इसी तरह किनारे किया जाएगा तो सेना हस्तक्षेप करेगी। 
 
कौन हैं ग्रेस मुगाबे? 
बावन साल की ग्रेस दक्षिण अफ्रीकी मूल की महिला हैं। जब वह राष्ट्रपति कार्यालय में सेक्रटरी थीं, तभी से उनका राष्ट्रपति मुगाबे से अफेयर शुरू हुआ। ग्रेस ने पति से तलाक लेकर मुगाबे से शादी की और मुगाबे से उन्हें दो बच्चे हुए। मुगाबे की पहली पत्नी का बीमारी से निधन हो गया था। ग्रेस खर्चीली महिला के तौर पर जानी जाती रही हैं। यहां तक की उन्हें गूची ग्रेस भी कहा जाने लगा मगर हाल के सालों में उनका राजनीतिक रुतबा और दखल बढ़ा है। 
ग्रेस मुगाबे की कितनी लोकप्रियता है? 
रॉबर्ट मुगाबे की पत्नी ग्रेस मुगाबे के समर्थकों की संख्या सीमित है क्योकि उनपर अकसर ऐशो-आराम की जिंदगी जीने के आरोप लगते रहे हैं जबकि देश गरीबी और भुखमरी से जूझ रहा है। इसी हफ्ते ग्रेस के एक बेटे की तस्वीर सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना कर रही थी जिसमें वह नाइटक्लब में एक महंगी घड़ी पर शैंपेन गिराते नजर आ रहे थे। ग्रेस मुगाबे की छवि तब भी खराब हुई थी जब इसी साल सितंबर में उनपर जोहांसबर्ग में एक मॉडल के साथ लड़ाई करने का आरोप लगा था। इस  घटना  के बाद ग्रेस मुगाबे को राजनयिक प्रोटोकॉल के तहत दक्षिण अफ्रीका से वापस जिम्बाब्वे भेज  दिया गया था। 
 
रॉबर्ट मुगाबे कितने ताकतवर? 
93 साल के रॉबर्ट मुगाबे 1980 में ब्रिटेन से आजाद हुए गरीब देश जिम्बाब्वे की सत्ता संभाले रहे हैं। उनकी तानाशाही को पहले सेना का व्यापक समर्थन हासिल था लेकिन हाल के सालों में रॉबर्ट ने कई दिग्गजों को पार्टी से निकाला जो आजादी की लड़ाई में शामिल थे। पार्टी से निकाले गए दिग्गजों ने साल 2016 में एक अलग फ्रंट बनाने की घोषणा की ताकि रॉबर्ट की सत्ता को चुनौती दी जा सके। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि रॉबर्ट मुगाबे सिर्फ नाम मात्र के राष्ट्रपति हैं जबकि असल में देश नानगांग्वा और उनके सहयोगी ही चलाते हैं। 
 
क्या यह रातोंरात हुआ? 
असल में जिम्बाब्वे में अगले साल चुनाव होने हैं। राष्ट्रपति मुगाबे अब 93 साल के हो चुके हैं और ढलती उम्र की वजह से वह कई समस्याओं से घिरे हुए हैं। ऐसे में पिछले कुछ समय से उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं हैं। इनमें दो नाम सबसे आगे चल रहे थे पहला उनके उपराष्ट्रपति और आजादी के आंदोलन के समय से दाहिना हाथ रहे एमर्सन नानगांग्वा और दूसरा, उनकी पत्नी ग्रेस मुगाबे। 
 
एमर्सन को मुगाबे का स्वाभाविक उत्तराधिकारी माना जा रहा था मगर 8 नवंबर को उन्हें अचानक पद से हटा दिया गया और वजह बताई गई कि अब वह वफादार नहीं रहे। इस बर्खास्तगी को ग्रेस के लिए रास्ता साफ करने के तौर पर देखा गया। हरारे में यह भी चर्चाएं थीं कि मुगाबे का अगला कदम आर्मी चीफ शिवेंगा की बर्खास्तगी होगी। मुगाबे के बारे में स्वतंत्रता सेनानियों में भी नाराजगी है जो मानते हैं कि राष्ट्रपति अब निजी हित में काम कर रहे हैं। 
 
रॉबर्ट मुगाबे की पृष्ठभूमि 
जिमबाब्बे के राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे की जगह अब सैनिक हस्तक्षेप के बाद उप-राष्ट्रपति इमर्सन को अंतरिम राष्ट्रपति बनाया गया है। रॉबर्ट मुगाबे के पिता गैब्रियल मालावी में कारपेंटर का काम करते थे।वर्ष 2013 में मुगाबे की कुल सम्पत्ति करीब 10 मिलियन डॉलर थी। उन्हें एक बार शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।
 
सेना के बुधवार को राष्ट्रीय टीवी चैनल पर कब्जा करने के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने टीवी के माध्यम से कहा- 'रॉबर्ट मुगाबे सुरक्षित हैं और उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। हम सिर्फ उन आरोपियों को ही निशाना बना रहे हैं जिनकी वजह से देश में रहने वालों को सामाजिक और आर्थिक दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।'
 
सेना की इस कार्रवाई के बाद यह भी कहा जाने लगा है कि सेना यह सब कुछ उप-राष्ट्रपति के बहकावे में आकर कर रही है। मामला अभी भी शांत नहीं हुआ है। मीडियो रिपोर्ट्स की मानें तो सैनिक आम लोगों को भी पीट रही है। क्या जिम्बाब्वे में सेना ने तख्तापलट की तैयारी कर ली है क्योंकि सेना के हालिया कदम इस ओर 
सोचने के लिए मजबूर रहे हैं।

जिम्बाब्वे की सेना ने बुधवार को कहा है कि राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे और उनकी पत्नी सेना की कस्टडी में हैं। सेना ने कहा है कि वह सरकारी दफ्तरों को सुरक्षित कर रही है और राजधानी में गश्त भी की जा रही है। हालांकि सेना ने तख्तापलट की बात से इनकार कर दिया है। 
 
इससे पहले जिम्बाब्वे के सरकारी टीवी चैनल को सेना द्वारा अपने कब्जे में लिए जाने की खबर आई थी। पिछली रात सेना द्वारा उठाए गए ये कदम जहां तख्तापलट की ओर इशारा कर रहे हैं वहीं सेना समर्थक इसे 'रक्तहीन सुधार' का नाम दे रहे हैं। सेना ने सरकारी टीवी से जारी बयान में खुद भी कहा है कि यह किसी भी तरह का सैन्य तख्तापलट नहीं है। 
 
हालांकि अबतक यह साफ नहीं हो पाया है कि 93 साल के मुगाबे और उनकी पत्नी को कहां रखा गया है। हालांकि ऐसा बताया जा रहा है कि दोनों सेना की ही कस्टडी में हैं। सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि उनकी सुरक्षा की गारंटी है। सेना के टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को भी सड़क पर गश्त करते देखा गया है। 
 
जबकि सैन्य तख्तापलट की आशंकाओं के मद्देनजर जिम्बाब्वे में अफरा-तफरी का माहौल है। बैंकों के बाहर लोगों की कतारें देखी जा रही हैं। वर्षों से वित्तीय संकट से जूझ रहे जिम्बाब्वे में लिमिटेड कैश निकालने की ही अनुमति है। लोगों का मानना है कि अपनी पत्नी के कारण राष्ट्रपति मुगाबे को नई मुसीबत का सामना करना पड़ा है। 
 
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