कयामत की सीड वॉल्ट
इनसान हमेशा से पृथ्वी पर अपने अस्तित्व को बचाने के लिए प्रयासरत रहा है। विश्व के सभी प्रमुख धार्मिक ग्रंथों व धर्मों में प्रलय (विनाश) की अवधारणा तथा मनुष्य द्वारा उस विपत्ति से पार पाने का वर्णन मिलता है। चाहे नूह की कहानी हो या मनु की कहानी, सबमें एक बात समान मिलती है। प्रलय के पहले ही इस पृथ्वी के समस्त प्राणियों तथा सब प्रकार के वनस्पति बीजों को संरक्षित किया गया जिससे इस पृथ्वी पर पुन: सृष्टि की स्थापना हुई।
कुछ ऐसा ही प्रयास इन दिनों सुदूर उत्तर में स्थित नार्वे के स्पिट्जबर्गन द्वीप के स्वॉलबर्ड क्षेत्र में किया जा रहा है, यहाँ ग्लोबल सीड वॉल्ट बनाया गया है जहाँ सम्पूर्ण विश्व के बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन जैसे की वनस्पति (फसलों व पेड़-पौधों) की लगभग 1.2 मिलियन प्रजातियों के बीज संरक्षित किए जा रहे हैं। यह प्रयास किसी संभावित वैश्विक आपदा की स्थिति में होने वाली पर्यावरण की क्षति की भरपाई करने के लिए किया जा रहा है। किसी आपदा या बीमारी के चलते, जलवायु परिवर्तन या किसी अन्य कारण की वजह से अगर किसी क्षेत्र विशेष की वनस्पति प्रजातियों का सफाया हो जाता है तो इस स्थिति में ग्लोबल सीड वॉल्ट में संरक्षित बीजों से उस प्रजाति को लुप्त होने से बचाया जा सकता है। इसे डूम्स-डे वॉल्ट यानी कयामत के दिन खुलने वाली वॉल्ट कहा गया है। (आगे पढ़े...)
संयुक्त राष्ट्र द्वारा सराही और समर्थित इस आर्कटिक ग्लोबल सीड वॉल्ट को एक त्रिपक्षीय संधि के अंतर्गत नार्वे सरकार, ग्लोबल क्रॉप डायवर्सिटी ट्रस्ट (जीसीटीडी) तथा नॉर्डिक जेनेटिक रिसोर्स सेंटर द्वारा चलाया जाता है। जीसीटीडी इसमें सबसे मुख्य भूमिका अदा करता है और बीजों को एकत्र करने से लेकर ग्लोबल सीड वॉल्ट तक पहुँचाने का काम करता है।