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वीर सावरकर जयंती : वे बातें जो आपको शर्तिया नहीं पता

वीर सावरकर जयंती : वे बातें जो आपको शर्तिया नहीं पता - Veer Savarkar Jyanati 2022
1. 28 मई 1883 को महान क्रांतिकारी वीर सावरकर (Veer Savarkar) का जन्म नासिक के भगूर गांव में हुआ। उनके पिता का नाम दामोदर पंत सावरकर था, जो गांव के प्रतिष्ठित व्यक्तियों में जाने जाते थे। उनकी माता का नाम राधाबाई था। 
 
2. जब विनायक 9 साल के थे, तब ही उनकी माता का देहांत हो गया था। उनका पूरा नाम विनायक दामोदर सावरकर था। बचपन से ही पढ़ाकू रहे वीर सावरकर ने बचपन में कुछ कविताएं लिखी थीं।
 
3. वीर सावरकर ने सन् 1901 में शिवाजी हाईस्कूल, नासिक से मैट्रिक की परीक्षा पास की। 
 
4. वीर सावरकर ने एक गुप्त सोसायटी बनाई थी, जो आजादी के लिए कार्य करती थी, वो 'मित्र मेला' के नाम से जानी गई। 
 
5. उन्होंने 1905 के बंग-भंग के बाद पुणे में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई। उनका संपूर्ण जीवन स्वराज्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष करते हुए ही बीता। 
 
6. वे फर्ग्युसन कॉलेज, पुणे में पढ़ने के दौरान राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत ओजस्वी भाषण देते थे। 1906 में तिलक की अनुशंसा पर उन्हें श्यामजी कृष्ण वर्मा छात्रवृत्ति मिली। 
 
7. सावरकर रूसी क्रांतिकारियों से ज्यादा प्रभावित थे। 'इंडियन सोसियोलॉजिस्ट' और 'तलवार' में उन्होंने अनेक लेख लिखे, जो बाद में कोलकाता के 'युगांतर' में भी छपे। 
 
8. लंदन में रहने के दौरान सावरकर की मुलाकात लाला हरदयाल से हुई। वे लंदन में इंडिया हाउस की देखरेख भी करते थे। 
 
9. मदनलाल धींगरा को फांसी दिए जाने के बाद उन्होंने 'लंदन टाइम्स' में भी एक लेख लिखा था। सावरकर को हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीतिक विचारधारा को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय दिया जाता है। 
 
10. वीर सावरकर ने धींगरा के लिखित बयान के पर्चे भी बांटे थे।
 
11. 1909 में लिखी पुस्तक 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस-1857' में सावरकर ने इस लड़ाई को ब्रिटिश सरकार के खिलाफ आजादी की पहली लड़ाई घोषित किया। 
 
12. वीर सावरकर 1911 से 1921 तक अंडमान जेल में रहे। 1921 में वे स्वदेश लौटे और फिर 3 साल जेल भोगी। 
 
13. जेल में वीर सावरकर ने 'हिन्दुत्व' पर शोध ग्रंथ लिखा।
 
14. 1937 में वे हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चुने गए। 9 अक्टूबर 1942 को भारत की स्वतंत्रता के लिए चर्चिल को समुद्री तार भेजा और आजीवन अखंड भारत के पक्षधर रहे। आजादी के माध्यमों के बारे में गांधीजी और सावरकर का नजरिया अलग-अलग था।
 
15. सावरकर 1943 के बाद वे दादर, मुंबई में रहे।
 
16. सावरकर दुनिया के ऐसे पहले कवि थे जिन्होंने अंडमान के एकांत कारावास में जेल की दीवारों पर कील और कोयले से कविताएं लिखीं और फिर उन्हें याद किया। इस प्रकार याद की हुई 10 हजार पंक्तियों को उन्होंने जेल से छूटने के बाद पुन: लिखा। 
 
17. वीर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी एवं प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे। 
 
18. विश्वभर के क्रांतिकारियों में वीर सावरकर का अद्वितीय स्थान है। वे एक महान क्रांतिकारी, चिंतक, इतिहासकार, समाज सुधारक, विचारक, साहित्यकार थे। उनकी पुस्तकें क्रांतिकारियों के लिए गीता के समान थीं। उनका जीवन बहुआयामी था। उनका नाम ही भारतीय क्रांतिकारियों के लिए उनका संदेश था। 
 
19. भारत के प्रशंसनीय क्रांतिकारी वीर सावरकर का निधन 26 फरवरी 1966 को मुंबई में हुआ।
 
20. उन्हें प्रायः स्वातंत्र्यवीर, वीर सावरकर के नाम से सं‍बोधित किया जाता है।