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बाल गंगाधर तिलक के जीवन से जुड़े 2 रोचक किस्से और 10 अनमोल विचार, यहां पढ़ें

बाल गंगाधर तिलक के जीवन से जुड़े 2 रोचक किस्से और 10 अनमोल विचार, यहां पढ़ें - Tilak Inspirational Quotes n Story
तिलक की मृत्यु पर महात्मा गांधी ने कहा- 'हमने आधुनिक भारत का निर्माता खो दिया है।' वे पहले ऐसे कांग्रेसी नेता थे जिन्होंने हिन्दी को राष्ट्रभाषा स्वीकार करने की मांग की थी। स्वराज को लेकर तिलक का वह कथन आज भी सारे देश में ख्यात है। आइए जानते हैं हमारे प्रिय नेता लोकमान्य गंगाधर तिलक के 10 अमूल्य विचार-
 
1. स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा।
 
2. धर्म और व्यावहारिक जीवन अलग नहीं हैं। संन्यास लेना जीवन का परित्याग करना नहीं है। असली भावना सिर्फ अपने लिए काम करने की बजाए देश को अपना परिवार बनाकर मिल-जुलकर काम करना है। इसके बाद का कदम मानवता की सेवा करना है और अगला कदम ईश्वर की सेवा करना है।
 
3. जीवन एक ताश के खेल की तरह है। सही पत्तों का चयन हमारे हाथ में नहीं है, लेकिन हमारी सफलता निर्धारित करने वाले पत्ते खेलना हाथ में है।

 
4. अगर आप रुके और हर भौंकने वाले कुत्ते पर पत्थर फेंकेंगे, तो आप कभी अपने गंतव्य तक नहीं पहुंचेंगे। बेहतर होगा कि हाथ में बिस्किट रखें और आगे बढ़ते जाएं।
 
5. अगर भगवान अस्पृश्यता बर्दाश्त करता है तो मैं उसे भगवान नहीं कहूंगा।
 
6. एक अच्छे अखबार के शब्द अपने आप बोल देते हैं।
 
7. यह सच है कि बारिश की कमी के कारण अकाल पड़ता है, लेकिन यह भी सच है कि भारत के लोगों में इस बुराई से लड़ने के ताकत नहीं है।
 
 
8. भारत की गरीबी पूर्ण रूप से वर्तमान सरकार के कारण है।
 
9. आपके विचार सही, लक्ष्य ईमानदार और प्रयास संवैधानिक हों तो मुझे पूर्ण विश्वास है कि आपकी सफलता निश्चित है।
 
10. ईश्वर की यही इच्छा हो सकती है कि मैं जिस उद्देश्य का प्रतिनिधित्व करता हूं वो मेरे आजादी में रहने से ज्यादा मेरी पीड़ा में अधिक समृद्धि हो।

1 प्रसंग. कठिन सवालों से क्‍या डरना?
 
लोकमान्य तिलक बचपन से ही बहुत साहसी और निडर थे। गणित और संस्‍कृत उनके प्रिय विषय थे। स्‍कूल में जब उनकी परीक्षाएं होतीं, तब गणित के पेपर में तिलक हमेशा कठिन सवालों को हल करना ही पसंद करते थे।
 
उनकी इस आदत के बारे में उनके एक मित्र ने कहा कि तुम हमेशा कठिन सवालों को ही क्‍यों हल करते हो? अगर तुम सरल सवालों को हल करोगे तो तुम्‍हें परीक्षा में ज्‍यादा अंक मिलेंगे।
 
 
इस पर तिलक ने जवाब दिया कि मैं ज्‍यादा-से-ज्‍यादा सीखना चाहता हूं इसलिए कठिन सवालों को हल करता हूं। अगर हम हमेशा ऐसे काम ही करते रहेंगे, जो हमें सरल लगते हैं तो हम कभी कुछ नया नहीं सीख पाएंगे।
 
यही बात हमारी जिंदगी पर भी लागू होती है, अगर हम हमेशा आसान विषय, सरल सवाल और साधारण काम की तलाश में लगे रहेंगे तो कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। जीवन की हर कठिनाई को एक चुनौती की तरह लो, उसके सामने घुटने टेकने के बजाए उसे जीतकर दिखाओ।
 

 
2 प्रसंग. तिलक का साहस
 
बाल गंगाधर तिलक के स्‍कूली जीवन की एक और यादगार घटना है। एक बार उनकी कक्षा के सारे बच्‍चे बैठे मूंगफली खा रहे थे। उन लोगों ने मूंगफली के छिलके कक्षा में ही फेंक दिए और चारों ओर गंदगी फैला दी।
 
कुछ देर बाद जब उनके शिक्षक कक्षा में आए तो कक्षा को गंदा देखकर बहुत नाराज हो गए। उन्‍होंने अपनी छड़ी निकाली और लाइन से सारे बच्‍चों की हथेली पर छड़ी से 2-2 बार मारने लगे। जब तिलक की बारी आई तो उन्‍होंने मार खाने के लिए अपना हाथ आगे नहीं बढ़ाया। जब शिक्षक ने कहा कि अपना हाथ आगे बढ़ाओ, तब उन्‍होंने कहा कि मैंने कक्षा को गंदा नहीं किया है इसलिए मैं मार नहीं खाऊंगा।

 
उनकी बात सुनकर टीचर का गुस्‍सा और बढ़ गया। टीचर ने उनकी शिकायत प्राचार्य से कर दी। इसके बाद तिलक के घर पर उनकी शिकायत पहुंची और उनके पिताजी को स्‍कूल आना पड़ा।
 
स्‍कूल आकर तिलक के पिता ने बताया कि उनके बेटे के पास पैसे ही नहीं थे। वो मूंगफली नहीं खरीद सकता था। बाल गंगाधर तिलक अपने जीवन में कभी भी अन्‍याय के सामने नहीं झुके। उस दिन अगर शिक्षक के डर से तिलक ने स्‍कूल में मार खा ली होती तो शायद उनके अंदर का साहस बचपन में ही समाप्‍त हो जाता।
 
 
इस घटना से हम सभी को एक सबक मिलता है। यदि गलती न होने पर भी हम सजा स्‍वीकार कर लें तो यह माना जाएगा कि गलती में हम भी शामिल थे। 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और वो मैं लेकर ही रहूंगा' इस नारे को देने वाले बाल गंगाधर तिलक का नाम भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।

 
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