प्रणब मुखर्जी भारत के सर्वाधिक सम्मानित नेताओं में से हमेशा एक रहे। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर में अपनी दूरदर्शिता से कई ऐसे मुकाम हासिल किए जिससे उनका हर दल में सम्मान हुआ । प्रणब दा को 5 दशक से ज्यादा वक्त का राजनीतिक अनुभव रहा। कांग्रेस पार्टी के अहम चेहरे रहे प्रणब दा उन नेताओं में गिने जाते थे जिन्हें स्टेट्स मैन कहा जाता था।
कांग्रेस पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक रहे प्रणबदा। केंद्र सरकार में कई अहम जिम्मेदारी को निभाते हुए कांग्रेस के नेता रहे लेकिन हर दल के बीच में उनका सम्मान होता था। प्रणब दा एक ऐसे नेता थे जिन्होंने शुरुआत भले ही छोटी की लेकिन परिश्रम से देश के सबसे ऊंचे पद पर पहुंचे।
प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को पश्चिम बंगाल के वीरभूमि जिले के मिराती गांव में हुआ था। वे बचपन से ही जिद्दी थे। उन्हें डायरी लिखना, किताबें पढ़ना, संगीत सुनने का शौक बचपन से ही बेहद पसंद था। उनकी जयंती पर जानते हैं प्रणब मुखर्जी के बारे में 10 रोचक तथ्य -
- प्रणब दा ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कलकत्ता में ही पोस्ट एंड टेलीग्राफ विभाग में अपर डिविजन क्लर्क के तौर पर काम किया। फिर 1963 में बंगाल में ही विद्यानगर कॉलेज में बतौर प्रोफेसर राजनीति शास्त्र पढ़ाया। इसके बाद देशेर डाक नामक समाचार पत्र में बतौर पत्रकार के तौर पर काम किया।
- 1969 से उनका राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई। दरअसल, 1969 में मिदनापुर उपचुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर खड़े वीके कृष्ण मेनन के लिए चुनाव प्रचार किया था। उनके राजनीतिक कौशल को देखकर इंदिरा गांधी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का सदस्य बना लिया। और उसी दौरान उन्हें राज्यसभा में भेज दिया। इस तरह प्रणब दा का राजनीतिक करियर शुरू हुआ।
- फरवरी 1973 से जनवरी 1974 तक वह इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट मिनिस्टर रहे।
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- जनवरी 1974 से फरवरी 1974 तक शिपिंग एंड ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर रहे।
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- अक्टूबर 1974 से दिसंबर 1975 तक वह वित्त राज्य मंत्री रहे।
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- 1975 में दूसरी बार राज्यसभा की कमान संभाली।
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- 1975 से 1977 तक वे रेवेन्यू एंड बैंकिंग मंत्रालय में राज्य मंत्री रहे।
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- 1978 से 1980 तक राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के उपनेता रहे।
- साल 1981 में प्रणब मुखर्जी तीसरी बार राज्यसभा सदस्य बनें।
- प्रणब मुखर्जी उन्हें प्यार से उन्हें प्रणब दा कहते थे। उन्होंने 1984, 1991, 1996, 1998 और 1999 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की कैम्पेन कमिटी के चेयरमैन पद पर रहे।
- 24 जनवरी 2009 से 2012 तक वित्त मंत्री रहे। प्रणब दा ने 25 अक्टूबर 2006 से 23 मई 2009 तक विदेश मंत्री का पद संभाला। 25 जून 2012 को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। 2012 से 2017 तक वह भारत के 13वें राष्ट्रपति रहे।
- प्रणब दा का 13 नंबर से था गहरा नाता। वे 13वें राष्ट्रपति बनें, दिल्ली में उनका 13 नंबर का बंगला था, 13 तारीख को ही उनकी शादी की सालगिरह आती है।
- प्रणब दा अपने शांत और सरल स्वभाव के लिए जाने जाते थे। करीबी उन्हें प्यार से प्रणब दा कहते थे और दोस्त उन्हें पोल्टू दा कहते थे।
- प्रणब मुखर्जी देश के 13वें राष्ट्रपति थे और कांग्रेस के दिग्गज नेता थे। उन्हें कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता था। साल 2012 से 2017 तक वह राष्ट्रपति पद पर कार्यरत रहें। इससे पहले वह कांग्रेस में मुख्य रूप से सक्रिय रहें। 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया। बता दें कि वह इंदिरा गांधी के सबसे करीबी में से एक थे। इंदिरा गांधी उन्हें अपना विश्वासपात्र मानती थी।
- बहुत कम लोग इस बात से वाकिफ है कि प्रणब दा को सिगार का बहुत शौक था। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इंदिरा गांधी ने प्रणब दा को रोकते हुए कहा था प्रणब दा के मुंह से कोई बात नहीं निकल सकती क्योंकि उनके मुंह से सिर्फ धुंआ निकलता है। इंदिरा गांधी को उनकी यह आदत बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी। लेकिन प्रणब दा को सिगार पीने की लत बुरी तरह से थी। डॉक्टर ने उन्हें निकोटिन पीने से मना किया तो वह बिना निकोटिन के ही सिगार पीते थे। गौरतलब है कि उनके पास करीब 500 से भी अधिक पाइप का कलेक्शन था। कई पाइप उन्हें विदेश से गिफ्ट के तौर पर मिले थे। वह खानपान के भी बेहद शौकीन थे।