शुक्रवार, 8 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. नन्ही दुनिया
  3. प्रेरक व्यक्तित्व
  4. Madanlal Dhingra
Written By
Last Modified: मंगलवार, 17 अगस्त 2021 (12:29 IST)

मदनलाल ढींगरा कौन थे, जानिए देश के लिए उनका योगदान

मदनलाल ढींगरा कौन थे, जानिए देश के लिए उनका योगदान | Madanlal Dhingra
मदनलाल धींगरा एक क्रांतिकारी थे। 18 फरवरी 1883 को उनका जन्म पंजाब में हुआ और 17 अगस्त 1909 में वे मात्र 26 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए थे। देश उन्हें आज भी याद करता है और करता रहेगा।
 
 
मदनलाल ढींगरा का पिता सिविल सर्जन थे और वे अंग्रेजी स्टाइल में रहते थे परंतु माता धार्मिक प्रवृति की थी। 
उनका परिवार अंग्रेजों का विश्वासपात्र था। परंतु मदनलाल प्रारंभ से ही क्रांतिकारी विचारधार के थे। इसी कारण उन्हें लाहौर के विद्यालय से निकाल दिया गया था। परिवार ने भी उनसे नाता तोड़ लिया था। तब उन्होंने एक लिपिक, एक तांगा चालक और एक मजदूर के रूप में काम करके अपना पेट पाला। जब वे एक कारखाने में मजदूर थे तब उन्होंने एक यूनियन बनाने का प्रयास किया, परंतु वहां से उन्हें निकाल दिया गया।  
 
फिर वे मुम्बई में काम करने लगे और बाद में अपने बड़े भाई की सलाह और मदद के चलते सन् 1906 में वे उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैड चले गए। जहां 'यूनिवर्सिटी कॉलेज' लंदन में यांत्रिक प्रौद्योगिकी में प्रवेश लिया। यही से उनके जीवन ने एक नया मोड़ लिया। लंदन में वे विनायक दामोदर सावरकर और श्यामजी कृष्ण वर्मा जैसे राष्ट्रवादियों के संपर्क में आए।
 
उस दौरान खुदीराम बोस, कनानी दत्त, सतिंदर पाल और कांशीराम जैसे देशभक्तों को फांसी दिए जाने की घटनाओं से लंदन में पढ़ने वाले छा‍त्र तिलमिलाए हुए थे और उनके मन में बदला की भावना थी।
 
फिर एक बार 1 जुलाई 1909 को 'इंडियन नेशनल एसोसिएशन' का लंदन में वार्षिक दिवस समारोह आयोजित हुआ जहां पर कई अंग्रेजों के साथ कई भारतीयों ने भी शिरकत की। यहीं पर अंग्रेज़ों के लिए भारतीयों से जासूसी कराने वाले ब्रिटिश अधिकारी सर विलियम कर्ज़न वाइली भी पथारे थे। ढींगरा भी इस समारोह में अंग्रेजों को सबक सिखाने के उद्देश्य से गए थे। हाल में जैसे ही कर्ज़न वाइली ने प्रवेश किया तभी ढींगरा ने रिवाल्वर से उस पर 4 गोलियां दाग दीं। कर्ज़न को बचाने का प्रयास करने वाला पारसी डॉक्टर कोवासी ललकाका भी ढींगरा की गोलियों से मारा गया।
 
कर्जन को गोली मारने के बाद ढींगरा खुद को भी गोली मारने ही वाले थे कि तभी उन्हें पकड़ लिया गया। इसके बाद लंद में बेली कोर्ट में 23 जुलाई को ढींगरा के केस की सुनवाई करके के बाद जज ने उन्हें मृत्युदण्ड देने का आदेश दिया। 17 अगस्त सन् 1909 को उन्हें फांसी दे दी गयी। जय हिन्द।
ये भी पढ़ें
रक्षाबंधन पर्व पर राखी बांधें लेकिन कोरोना काल की सावधानियां न भूलें