खराब है धन का नशा : मुनिश्री
मौत के आगे सुरक्षा भी 'फेल'
राष्ट्रसंत मुनि तरुण सागर जी महाराज ने कहा है कि कोई भी सुरक्षा मनुष्य को मौत से नहीं बचा सकती। मौत के आगे सुरक्षा भी फेल हो जाती है। हम अपने जीवन की रक्षा के लिए भले ही कितने सुरक्षा कर्मचारी तैनात कर लें लेकिन वे मौत से नहीं बचा सकते। बाहरी सुरक्षाकर्मी कुछ नहीं कर सकते। वास्तव में यदि मौत से बचना है, तो केवल आपके द्वारा किए गए पुण्य कार्य ही उसे आने से रोक सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमेशा अच्छे कार्यों का श्रेय बड़ों को दो तथा त्रुटियों के लिए स्वयं को जिम्मेदार ठहराओ। मुनिश्री ने कहा कि जिस प्रकार पशु को घास तथा मनुष्य को आहार के रूप में अन्न की आवश्यकता होती है उसी प्रकार भगवान को भावना की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि प्रार्थना में उपयोग किए जा रहे शब्द महत्वपूर्ण नहीं बल्कि भक्त के भाव महत्वपूर्ण होते हैं। उन्होंने कहा कि लोग दुनिया का कल्याण तो चाहते हैं, लेकिन पहले स्वयं अपना। शराब से ज्यादा नशा धन का होता है। शराब का नशा तो दो-चार घन्टे बाद ही उतर जाता है, लेकिन धन का नशा तो जिंदगी बर्बाद करने के बाद ही उतरता है।
धन का अहंकार रखने वालों के बारे में मुनिश्री ने कहा कि पैसा कुछ भी हो सकता है, बहुत कुछ हो सकता है, लेकिन सब कुछ नहीं हो सकता। हर आदमी को धन की अहमियत समझना बहुत जरूरी है। धनाढ्य होने के बाद भी यदि लालच और पैसों का मोह है, तो उससे बड़ा गरीब और कोई नहीं हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति लाभ की कामना करता है, लेकिन उसका विपरीत शब्द अर्थात भला करने से दूर भागता है।वास्तव में होटल का अर्थ वहाँ से टल जाना ही समझना चाहिए। उन्होंने शाकाहार का पालन करने वालों को आगाह किया कि कभी भी उस होटल में भोजन मत करो जहाँ माँसाहारी भोजन भी बनता हो। उन्होंने कहा कि घर में पका भोजन ही श्रेष्ठ होता है क्योंकि उसमें वात्सल्य, प्रेम रहता है।