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Last Updated : बुधवार, 14 जुलाई 2021 (19:32 IST)

टोक्यो ओलंपिक में नजर आएंगे तीरंदाज प्रवीण जाधव, जानिए इनके संघर्ष की पूरी कहानी

टोक्यो ओलंपिक में नजर आएंगे तीरंदाज प्रवीण जाधव, जानिए इनके संघर्ष की पूरी कहानी - Archer Praveen Jadhav will be seen in Tokyo Olympics
टोक्यो ओलंपिक में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। जापान के टोक्यो में खेलों के महाकुंभ का आगाज 23 जुलाई से होगा और आठ अगस्त तक खेल के गलियारों में इसकी रौनक देखने को मिलेगी। टोक्यो 2020 में भारत के से भी कई एथलीट हिस्सा ले रहे हैं और सभी से दमदार प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है।

महाराष्ट्र के सतारा जिले के प्रवीण जाधव भी टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं। प्रवीण जाधव पेशे से एक तीरंदाज है और उनकी नजरें भी अपने पहले ओलंपिक में बढ़िया खेल दिखाने पर रहेगी। 

संघर्ष भरी रही इस खिलाड़ी की कहानी

प्रवीण जाधव टोक्यो ओलंपिक में जाने वाले प्रवीण जाधव ने मजदूरी करने वाले अपने माता-पिता का गर्व से सर तो ऊंचा किया ही, इसके साथ ही पूरे सतारा जिले का नाम भी रोशन कर दिया। मगर क्या आपको पता है, जाधव की कहानी कितनी संघर्ष भरी रही?

दरअसल, प्रवीण का आधा जीवन सार्दे गांव में नाले के किनारे बनी झुग्गियों में बीता है। उनके माता-पिता दिहाड़ी मजदूरी करते थे, लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्य के आगे कभी भी अपनी गरीबी का रोना नहीं रोया। मेहनत और जज्बे के दम पर प्रवीण ने वह कर दिखाया, जिसका सपना देश का हर एक खिलाड़ी देखता है। यह प्रवीण जाधव की कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि वह देश के लिए ओलंपिक खेलने जा रहे हैं।

प्रवीण जाधव के जीवन में कई बार ऐसा वक़्त भी आया जब उनके परिवार को दो वक़्त का खाना भी बड़ी मुश्किल से नसीब हुआ। इसी गरीबी से परेशान होकर प्रवीण ने खेल जगत के जरिए अपनी किस्मत बदलने का फैसला किया।

8 साल की उम्र में बना लिया था लक्ष्य

प्रवीण ने सिर्फ 8 साल की उम्र से एथलेटिक्स में रूचि लेना शुरू कर दिया था। मगर परिवार की आर्थिक परिस्तिथि ऐसी नहीं थी कि वो किसी भी खेल अकादमी में ट्रेनिंग ले सके। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने गांव में लकड़ी के बने तीर कमान से निशाना लगाने का अभ्यास करने लगे। अब प्रवीण की किस्मत और मेहनत का नतीजा तो देखिए... आज लकड़ी के धनुष के दम पर प्रवीण तीरंदाजी में देश का नाम रौशन करने के लिए तैयार है।

जीत चुके हैं कई मेडल

जानकारी के लिए बता दें कि, प्रवीण जाधव अभी तक कई मेडल जीतकर अपने नाम कर चुके हैं। 2016 में बैंकॉक में एशिया कप प्रतियोगिता में प्रवीण ने पहली बार भारत का प्रतिनिधत्व किया था। इस दौरान प्रवीण ने मेंस रिकर्व टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता था। इसके बाद 2017 में उन्होंने आर्मी को ज्वाइन कर लिया, जिससे उन्हें ओलंपिक गोल्ड कोस्ट से मदद मिलने लगी। 2019 में उन्होंने सिर्फ 22 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर पदक अपने नाम किया था।

मोदी जी भी कर चुके हैं तारीफ

हाल ही में 13 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टोक्यो ओलंपिक में जाने वाले हर एक एथलीट से बात कर उनका मनोबल बढ़ाया था। पीएम मोदी ने प्रवीण जाधव से पूछा, 'आप तो पहले एथलीट बनना चाह रहे थे, फिर तीरंदाज कैसे बन गए। ये बदलाव कैसे हुआ?' प्रवीण ने जवाब देते हुए कहा, 'पहले मैं एथलीट था लेकिन मेरा शरीर कमजोर था. मुझे मेरे कोच ने कहा कि आप दूसरे खेल में अच्छा कर सकते हो। इसके बाद मुझे आर्चरी गेम दिया गया। मैंने अमरावती में काफी प्रैक्टिस की। मैं गरीब था और मुझे लगा कि अगर मैंने मेहनत नहीं की तो घर जाकर मजदूरी करनी पड़ेगी। इससे अच्छा तो आर्चरी ही करूं। मैं कामयाब रहा। मैंने सोचा हार मान लूंगा तो सब खत्म हो जाएगा। इसलिए मैंने पूरी कोशिश की।‘
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