नववर्ष में भारत की शान बढ़ेगी
मनमोहन सिंह के सितारे होंगे बुलंद
प्रस्तुति : अमितांशु पाठक काशी के विख्यात ज्योतिष विद्वान आचार्य प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय के अनुसार इस दीपावली से अगली दीपावली (2011) तक देश में महँगाई और बढ़ने का सिलसिला जारी रहेगा। मई 2011 तक यह परिस्थिति बनी रहेगी। इस दरम्यान राष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद, दुर्घटना, प्राकृतिक प्रकोप और नक्सली आंदोलन का सिलसिला नहीं थमने का ग्रहयोग बना हुआ है। राजनीतिक दृष्टि से मई, 2011 तक परिस्थितियाँ भारतीय राजनीति के प्रतिकूल और नकारात्मक स्थितियों वाली हैं। मई 2010 तक राजनीतिक दलों के संगठन और संपूर्ण राजनीतिक परिदृश्य में उथल-पुथल तथा आपसी मतभेद के स्पष्ट संकेत ज्योतिषीय गणना के अनुसार विद्यमान हैं। जून 2011 से अगले कुछ महीनों में केंद्र सरकार द्वारा आम जनता के लिए कुछ अत्यंत लाभकारी योजनाओं की घोषणा और शुरुआत की जा सकती है। राष्ट्रीय पार्टियों में व्यक्तित्व के अहं के टकराव और शीर्ष नेताओं की उपेक्षा के कारण संकट की स्थिति उत्पन्न होने के स्पष्ट ज्योतिषीय संकेत हैं, जिनका अंतिम परिणाम दल में संगठनात्मक परिवर्तन होगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश के सम्मान में वृद्धि होगी। सामरिक और आर्थिक दोनों ही दृष्टि से भारतवर्ष की स्थिति अच्छी और मजबूत रहेगी। राष्ट्रीय स्तर के तीन प्रमुख शीर्ष राजनीतिज्ञों (नाम न लेने के अनेक कारण बताते हुए) के लिए यह अवधि कष्टसूचक होगी। यह समय तीनों शीर्ष राजनीतिज्ञों के लिए प्रतिकूल और कष्टकारी होगा। एक पूर्व प्रधानमंत्री के स्वास्थ्य को लेकर देश में चिंता रहेगी। वर्तमान यूपीए सरकार और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे कुछ शीर्ष नेताओं के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अभिवृद्धि होगी। जून 2011 से केंद्र सरकार की नीतियों की देश में सकारात्मक प्रतिक्रिया और सराहना होगी।मनमोहन सिंह विश्व पटल पर और अधिक मजबूत नेता बनकर उभरेंगे। 2011 उनके लिए अत्यंत उत्तम और श्रेयस्कर होगा। विश्वस्तर पर अपने अवदान, नीतियों और लोकप्रियता के चलते उन्हें कोई बड़ा मानद पद, सम्मान या पुरस्कार अवश्य मिलेगा। विरोधियों द्वारा षड्यंत्र के भी स्पष्ट ज्योतिषीय संकेत हैं किंतु यह सर्वथा विफल होगा। देश की सबसे बड़ी और शक्तिशाली राजनेता के रूप में सोनिया गाँधी की लोकप्रियता और बढ़ेगी। उनकी पहल पर 2011 तक कुछ जनकल्याणकारी एवं लाभकारी योजनाएँ शुरू की जा सकती हैं। उनकी राजनीतिक स्वीकार्यता और महत्व और भी बढ़ने के संकेत हैं। अन्य दलों में भाजपा की स्थिति में मामूली सुधार होगा पर सत्ता में वापसी की ओर बढ़ने के संकेत नहीं हैं। पार्टी शीर्ष नेतृत्व में मनमुटाव बढ़ेगा। सुषमा स्वराज अधिक मुखर होंगी पर उन्हें स्वास्थ्य की चिंता रहेगी।