नमन तुमको देश मेरा
अनंत प्रसाद 'रामभरोसे'
सूर्य चंदा और तारेके सुखद मनहर नजारे हैं सजाते देश को नितस्वर्ण किरणों के सहारे,गोधुली जिसकी सुहानीसुखद है जिसका सवेरानमन तुमको देश मेरा।अहा! पर्वत और घाटी धन्य अपनी धूल माटीअर्चना में लिप्त जिसकीवेद मंत्रों के सुपाठी,देवताओं की धरा यहसाधु-संतों का बसेरानमन तुमको देश मेराहम चले सबको जगानेजागरण का गीत गाने विश्वगुरु फिर से बनाने, उठ गए हैं हम धरा सेअब मिटाने को अंधेरानमन तुमको देश मेरा