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Last Modified: मंगलवार, 17 जनवरी 2023 (13:27 IST)

राउरकेला का यह लोकल बॉए लड़ा गरीबी से, बांस की छड़ी से अभ्यास कर पहुंचा विश्वकप तक

राउरकेला का यह लोकल बॉए लड़ा गरीबी से, बांस की छड़ी से अभ्यास कर पहुंचा विश्वकप तक - Raurkela local boy battled hardship to swell his way in Hockey World Cup
भारत अब तक हॉकी विश्वकप के 2 मैच खेल चुका है। पहले में उसे स्पेन के खिलाफ 2-0 से जीत मिली थी और दूसरा मैच इंग्लैंड के खिलाफ गोल रहित ड्रॉ हुआ था। भारत अब तक इस हॉकी विश्वकप में एक भी गोल नहीं खाया है। राउरकेला के बिरसा मुंडा स्टेडियम में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले एक और खिलाड़ी है जो इस शहर के ही हैं। उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि वह बांस की हॉकी स्टिक से लेकर विश्व के सबसे बड़े हॉकी स्टेडियम में खेलेंगे। आइए जानते हैं कैसे गरीबी से लड़कर उन्होंने अपने शहर के लिए खड़ी की एक मिसाल
 
किसान परिवार राउरकेला के स्थानीय खिलाड़ी 
 
राउरकेला के स्थानीय खिलाड़ी नीलम जेस हैं जो भारत की ओर से राउरकेला में खेले जा रहे हॉकी विश्वकप में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने काफी गरीबी और कठिन दिन देखे हैं। वह एक किसान परिवार से हैं और उनके माता पिता आलू और फूलगोभी की खेती करते हैं। गांव कदोबहल में रहने वाले नीलम जेस ने लगभग 19 साल बिना बिजली के काटे हैं। यही कारण है कि वह अपनी गरीबी की गाथा किसी के सामने गाना नहीं चाहते।
कच्चे घर में रहता है यह खिलाड़ी
 
राष्ट्रीय हॉकी टीम का कोई खिलाड़ी कच्चे घर में कैसे रह सकता है यह आश्चर्य का विषय है। लेकिन उनके पास फूस के घर में रहने के अलावा कोई चारा नहीं था। सिर्फ बिजली ही नहीं उनके घर में गैस और पानी का कनेक्शन तक नहीं था। हॉकी विश्वकप के बाद उड़ीसा सरकार 10 लाख हर खिलाड़ी को देगी (नतीजा चाहे कुछ भी हो)। शायद इसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति में थोड़ा सुधार देखने को मिले। 
 
बांस की छड़ी और कपड़े की गेंद से किया अभ्यास 
 
एक प्रख्यात समाचार एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू में नीलम जैस के पिता बिपिन ज़ेस ने कहा,  “हमें बहुत गर्व है कि हमारा बेटा देश का प्रतिनिधित्व कर रहा है। अपने बचपन के दिनों में, नीलम ने अपने बड़े भाई और दोस्तों के साथ बाँस की छड़ियों और फटे कपड़ों से बनी गेंदों का उपयोग करके हॉकी का अभ्यास किया।”
 
सरकार से अब तक कोई मदद नहीं मिली
 
नीलम के पिता ने कहा कि सरकार से कुछ भी मदद नहीं मिली। राष्ट्रीय हॉकी टीम का खिलाड़ी होने के बावजूद नीलम को भी छुट्टियों में इस कच्चे मकान में ही रहना पड़ता था। 
 
हॉकी में ऐसे आगे बढ़े नीलम 
 
साल 2015 और 2016 में ओडिशा के जूनियर राष्ट्रीय खिताब के हीरो नीलम रहे थे। इसके बाद उड़ीसा की वरिष्ठ टीम में उन्होंने जगह बनाई। इसके बाद वरिष्ठ टीम में उन्होंने जगह बनाई जो राष्ट्रीय स्तर पर तीसरी टीम थी। राष्ट्रीय टीम में भी जगह बनाने में उनको खास मशक्कत नहीं करनी पड़ी। उस वक्त अंडर 19 एशिया कप में 
उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन कर टीम को खिताब दिलवाया था। आशा है इस विश्वकप में भी वह टीम इंडिया के स्टार खिलाड़ी बनकर उभरें।
 
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