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Last Updated : बुधवार, 19 फ़रवरी 2020 (11:40 IST)

Motivational speech : भीड़ का मनुष्‍य

Motivational speech : भीड़ का मनुष्‍य - friedrich nietzsche quotes
जर्मन दार्शनिक फ्रेडरिक नीत्शे ने कहा- शक्‍ति की आकांक्षा जहां-जहां दिखाई देती है उनमें एक है- समाज और व्‍यक्‍ति। मूल सिद्धांत सिर्फ व्‍यक्‍ति ही स्‍वयं को जिम्‍मेदार मानते हैं। समूह इसलिए बनाए गए है ताकि वे काम किए जाएं जिन्‍हें करने का साहस व्‍यक्‍ति में नहीं होता।


व्‍यक्‍ति अपनी खुद की इच्छाओं को पूरा करने का साहस भी नहीं रखता। परोपकार करने की अपेक्षा हमेशा व्‍यक्‍तियों से ही की जाती है, समाज से नहीं। अपना पड़ोसी वास्‍तविक पड़ोसी को शामिल नहीं करता। जिन देशों की सीमाएं एक ही है वह सब और उनके दोस्‍त भी, अपने दुश्‍मन है, यही मानकर चलें।
 
 
समाज का अध्‍ययन करना बहुत कीमती है क्‍योंकि मनुष्‍य समाज की तरह बहुत सरल है, एक व्‍यक्‍ति की उपेक्षा। पुलिस, कानून, वर्ग, व्‍यापार और परिवार शासन द्वारा आयोजित अनैतिकता है। जब तक हाथ में ताकत नहीं होती तब तक व्‍यक्‍ति स्‍वतंत्रता चाहता है। एक बार हाथ में ताकत आ गई तो फिर वह दूसरे को दबाना चाहता है। अगर ऐसा नहीं कर सकता तो फिर वह न्‍याय चाहता है, जिसका अर्थ है- समान ताकत।
 
 
श्रेष्‍ठ मनुष्‍य और भीड़ का मनुष्‍य। जब महान लोग नहीं होते तब व्‍यक्‍ति ‘मिनी भगवान’ या अतीत के महान लोगों को अवतार बनाते हैं।