मंगलवार, 5 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. poem on words

शब्द पर कविता

शब्द पर कविता - poem on words
शब्द








अगर इतने ही
समझदार होते
तो खुद ही
गीत, कविता,
कहानी, नज्म,
संस्मरण या यात्रा-वृत्तांत
बन जाते।
 
शब्द
बच्चों की तरह
नासमझ और मासूम
होते हैं
जिन्हें भावों में
पिरोना पड़ता है
अहसासों में
संजोना पड़ता है
एक अक्षर
के हेर-फेर से
पूरी रचना को आंख 
भिगोना पड़ता है।
 
जैसी कल्पना मिलती है
शब्द, बच्चे की भांति
वैसा रूप ले लेता है
जैसी भावना खिलती है
वैसी धूप ले लेता है।
 
शब्द और बच्चे
एक से ही हैं
श्रेष्ठ कृति के लिए
दोनों को
पालना पड़ता है
समय निकाल के
संभालना पड़ता है
तब जाके
एक अदद इंसान
की तरह
एक मुकम्मल
रचना तैयार होती है।
ये भी पढ़ें
बाल कविता: दादी मां के घर झूले