older person day poem
हाइकू रचना
बोझिल मन
अकेला खालीपन
बढ़ती उम्र।
सारा जीवन
तुम पर अर्पण
अब संघर्ष।
वृद्ध जनक
तिल-तिल मरते
क्या न करते?
बुजुर्ग बोझ
घर में उपेक्षित
अंग शिथिल।
वृद्ध आश्रम
मरती संवेदनाएं
ढहते रिश्ते।
प्रिय दादाजी
अनुभवों की नदी
उन्मुक्त हंसी।
दादी की बातें
रातों की कहानियां
चुपड़ी रोटी।
पिता का होना
बरगद की छांव
निश्चिंत जीवन।
अक्षय पात्र
बुजुर्गों का आशीष
अमृत ध्वनि।
घर में तीर्थ
बुजुर्गों का सम्मान
ईश्वर कृपा।
उचित सेवा
सुधरे परलोक
ढेरों आशीष।
मार्गदर्शक
समाज का विकास
सेवा-विश्वास।
वरिष्ठ जन
प्रसन्नता से कटे
बाकी जीवन।