बुधवार, 9 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. nav varsh poem

कविता : नववर्ष का स्वागत

nav varsh poem
आगत का स्वागत करें, गत को विदा सहर्ष।
जीवनक्रम में आ बसा, सन् उन्नीस सुवर्ष।
 
नए वर्ष की भोर है, सपने नवल किशोर।
धूप की चादर ओढ़कर, ठंड मचाए शोर।
 
ऊर्जित मन आशा भरे, देखें आगत ओर।
बीते ने जो भी दिया, बांध लिया मन छोर।
 
अभिनंदन आह्लाद से, भौंरे गाते गीत।
शुभागमन नववर्ष का, आवाहित मन मीत।
 
अगहन, कार्तिक मास के, चढ़कर सीने ठंड।
सूरज को ठुठरा रही, सर्दी बड़ी प्रचंड।
 
ज्योति सुमंगल पावनी, नए नवल निष्कर्ष।
खुशियों से पूरित रहे, कल्पवृक्ष ये वर्ष।
 
सुबह-सबेरे की किरण, विभा भोर की ओस।
तन-मन पुलकित पुष्प-सा, छूटे सब अफसोस।
 
राधा मन में बस गई, साथ मिले घनश्याम।
नए वर्ष में अब चलो, विचरेंगे ब्रजधाम।
 
विदा अठारह आज तुम, चले छोड़ मन चित्र।
बहुत दिया तुमने हमें, याद रहोगे मित्र।
 
आप सभी को सपरिवार अंग्रेजी नए साल की शुभकामनाएं...!