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Written By Author ब्रह्मानंद राजपूत
Last Modified: मंगलवार, 1 जनवरी 2019 (00:21 IST)

नए साल में मोदी के लिए अनेक उपलब्धियां गढ़ने का अवसर है

नए साल में मोदी के लिए अनेक उपलब्धियां गढ़ने का अवसर है - Narendra Modi
नववर्ष 2019 पर विशेष आलेख

नया वर्ष हर व्यक्ति के लिए बीते हुए वर्ष की सफलताओं और उपलब्धियों के साथ-साथ कमियों और गलतियों का मूल्यांकन करने का समय है। यह हमें अपने आप को भावी वर्ष के लिए योजना बनाने, कार्य करने तथा आगामी वर्ष के लिए नए लक्ष्य तय करने का अवसर प्रदान करता है। नए साल की शुरुआत में हर व्यक्ति को भावी वर्ष के लिए नए लक्ष्य बनाने चाहिए और उन्हें पूरा करने की रणनीति बनानी चाहिए जिससे कि अवसरों को सफलता में बदला जा सके।
 
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने बीते वर्ष में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं, साथ-साथ अनेक सफलताएं भी पाई हैं। इन सफलताओं और उपलब्धियों में मोदी सरकार को अपनी गलतियों और कमियों पर पर्दा नहीं डालना चाहिए बल्कि अपनी गलतियों और कमियों का मूल्यांकन करके भावी वर्ष के लिए रणनीति बनानी चाहिए जिससे कि गलतियों और कमियों को सुधारकर अवसरों में बदला जा सके।
 
मोदी ने बीते वर्ष में जिस प्रकार से अनेक चुनौतियों का सामना किया, उसी प्रकार भावी वर्ष में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। कहा जाए तो साल 2019 में मोदी को अनेक अग्निपरीक्षाओं से गुजरना पड़ेगा। 5 राज्यों (मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम) में हार के बाद सबसे पहली अग्निपरीक्षा मोदी के लिए 2019 का लोकसभा चुनाव होगा। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा मोदी और अपने मुख्यमंत्रियों के नेतृत्व में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी सत्ता गंवा चुकी है और तीनों ही राज्यों में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की सरकार बन चुकी है।
 
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो यहां भाजपा की पिछले 15 साल से शिवराजसिंह चौहान और डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में सरकारें थीं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में शिवराजसिंह चौहान और डॉ. रमन सिंह ने काफी विकास के काम किए, इसके बावजूद दोनों राज्यों में भाजपा को सत्ताविरोधी लहर में हार का सामना करना पड़ा।
 
अगर राजस्थान की बात की जाए तो राजस्थान ने अपने इतिहास को दोहराते हुए इस बार कांग्रेस को मौका दिया है, क्योंकि पिछले कई सालों से राजस्थान का इतिहास रहा है कि यहां 5 साल भाजपा की सरकार रहती है तो उसके 5 साल बाद तक कांग्रेस की सरकार रहती है। ऐसा नहीं है कि राजस्थान में भाजपा ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में वहां विकास के कार्य नहीं किए, पिछले 5 सालों में वसुंधरा सरकार ने वहां काफी विकास के कार्य किए लेकिन सत्ताविरोधी लहर ने राजस्थान में फिर अपने इतिहास को दोहराया है।
 
तेलंगाना की बात की जाए तो वहां के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) तेलंगाना राज्य बनाने के बाद लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। वहां केसीआर की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति ने 119 में से 88 सीटें जीती हैं। लोकसभा का सेमीफाइनल माने जा रहे इन 5 राज्यों (मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम) के चुनाव में भाजपा पूरी तरह से असफल होती दिखी।
 
बेशक, कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी के नेतृत्व में मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में अपनी सरकारें बना ली हों लेकिन आज भी कांग्रेस, भाजपा से राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में नहीं है। इसका प्रमुख कारण मोदी जैसे विराट व्यक्तित्व के सामने एक दमखम वाले नेता का नहीं होना है। अभी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मोदी से प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में नहीं हैं और न ही उनके पास मोदी जैसा लंबा अनुभव है। यही बात मोदी के लिए एक प्लस पॉइंट है। आज भी विभिन्न चैनलों और एजेंसियों के सर्वेक्षण में मोदी ही प्रधानमंत्री के रूप में देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं।
 
बेशक, भाजपा 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हारी हो लेकिन मोदी की लोकप्रियता में आज भी कोई कमी नहीं आई है। अगर ऐसी ही लोकप्रियता मोदी की नए वर्ष 2019 में देखने को मिलती है तो निश्चित रूप से 2019 के संसदीय चुनावों में भाजपा को मोदी के नेतृत्व में कोई जीतने से कोई भी पार्टी और नेता नहीं रोक सकता। अब 2019 के आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा की सफलता और असफलता सीधे-सीधे मोदी की साख को प्रभावित करेगी। 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत का सेहरा भी मोदी के सिर पर सजेगा और हार का ठीकरा भी मोदी के मत्थे मढ़ा जाएगा, क्योंकि 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा अपने लोकप्रिय मोदी के नेतृत्व में ही लड़ेगी।
 
5 राज्यों में भाजपा को करारी हार के बाद अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर होना पड़ा है। पहले भाजपा नेताओं के बयान आते थे कि भाजपा अजेय है लेकिन 5 राज्यों (मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम) में भाजपा को हराकर जनता ने भाजपा को सबक सिखाते हुए बता दिया कि अतिआत्मविश्वास, बड़बोलापन और जरूरत से ज्यादा घमंड कभी-कभी काफी भारी पड़ जाता है। अब भाजपा के नेता भी कहने लगे हैं कि हार-जीत राजनीति का अहम हिस्सा है लेकिन भाजपा भी अपनी गलतियों से जल्दी सीखने वाली पार्टी है।
 
भाजपा अब 2019 के लोकसभा के चुनाव का रण जीतने के लिए नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक नई रणनीति के साथ कमर कस चुकी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सबसे ज्यादा साख उत्तरप्रदेश में लगी है। एक तो मोदी उत्तरप्रदेश के वाराणसी से सांसद हैं, साथ-साथ 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी को प्रधानमंत्री बनाने में सबसे बड़ी भूमिका उत्तरप्रदेश की रही है। अगर उत्तरप्रदेश में भाजपा अच्छा प्रदर्शन करती है तो मोदी की साख बढ़ेगी। अगर भाजपा का लचर प्रदर्शन रहता है, तो मोदी पर चारों तरफ से दबाव बढ़ेगा।
 
उत्तरप्रदेश में भाजपा को सपा, बसपा, कांग्रेस, रालोद जैसी धुरंधर पार्टियों से भिड़ना पड़ेगा। अगर उत्तरप्रदेश में सपा और बसपा का महागठबंधन होता है तो भाजपा के लिए उत्तरप्रदेश की 80 लोकसभा सीटों को जीतने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ेगी, क्योंकि गोरखपुर, फूलपुर और कैराना के लोकसभा उपचुनाव में विपक्ष ने एकजुटता का परिचय देते हुए भाजपा को करारी शिकस्त दे दी है। खुद उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री (योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या) महागठबंधन के सामने अपनी-अपनी लोकसभा सीटों को भी नहीं बचा पाए। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा के उपचुनावों में भाजपा की हार भाजपा के लिए बड़ा सबक थी और विपक्ष के लिए आगामी 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन बनाने लिए संदेश थी।
 
अगर सपा, बसपा और अन्य विपक्षी दलों का उत्तरप्रदेश में गठबंधन होता है तो भाजपा को इस चक्रव्यूह को भेदना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि आम मध्यम वर्ग मोदी सरकार से नोटबंदी और जीएसटी की वजह से पहले से ही नाराज चल रहा है। कहा जाए तो सरकार द्वारा आर्थिक सुधारों के लिए नोटबंदी और जीएसटी लागू करना काफी अच्छे कदम थे लेकिन मोदी सरकार नोटबंदी और जीएसटी के फायदे आम लोगों तक बताने में पूर्ण रूप से नाकाम रही है तभी तो देश का मध्यम वर्ग मोदी सरकार से नाराज है। अभी भी मोदी के लिए जनता तक अपनी योजनाओं और उसके फायदे पहुंचाने के लिए वक्त है। अगर मोदी अपनी इन योजनाओं के फायदे आम लोगों तक पहुंचाने में कामयाब होते हैं तो उनके लिए 2019 का लोकसभा चुनावों का रण आसान हो जाएगा। मोदी की सबसे बड़ी खूबी यही है कि वह अपने जोरदार भाषणों से लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं, ऐसी कला हर नेता में नहीं होती है।
 
मोदी ने देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद संपूर्ण भारत देश का विश्वस्तर पर मान बढ़ाया है। मोदी का मंत्र है- 'न किसी को आंख दिखाएंगे, न आंख झुकाएंगे'। इसी मंत्र के साथ मोदी के नेतृत्व में भारत का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहम स्थान है। आज पाकिस्तान जैसे देश, जिसमें आतंकवाद का पोषण किया जाता है, को विश्वस्तर पर अलग-थलग करने में मोदी की कूटनीति का ही अहम योगदान है। आज मोदी की कूटनीति का ही कमाल है जिससे चीन जैसे बड़े देश को डोकलाम विवाद पर अपने पैर पीछे खींचने पड़े। एक समय डोकलाम विवाद को लेकर ऐसा लग रहा था कि भारत और चीन के बीच युद्ध होकर रहेगा। लेकिन चीन की तरफ से उकसाने वाले बयान आने के बाबजूद मोदी ने संयम से इस गतिरोध का हल निकाला और इसका नतीजा ये रहा कि चीन को डोकलाम से अपनी सेना वापस बुलानी पड़ी।
 
मोदी के नेतृत्व में पूरे विश्व में भारत की जय-जयकार हो रही है। आज मोदी के नेतृत्व में विश्वस्तर पर भारत की धूम मची है। इसके अलावा जबसे मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से देश प्रगति के रास्ते पर जा रहा है। मोदी ने प्रधानमंत्री रहते हुए अब तक दर्जनों जनमानस से जुड़ी हुईं योजनाओं को लागू कराया है जिसका सीधा-सीधा लाभ आम जनता को हो रहा है।
 
पहली बार मोदी नीत सरकार द्वारा हमारी बहादुर सेना के नेतृत्व में पाकिस्तान में घुसकर लक्षित हमले किए गए और पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया गया कि हिन्दुस्तान अब पाकिस्तान पोषित आतंकवाद को बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेगा। कश्मीर में भी अब तक भारतीय सेना द्वारा दर्जनों बड़े आतंकवादियों को मार गिराया गया है। कश्मीर में अलगाववादियों पर भी टेरर फंडिंग मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शिकंजा कसा हुआ है। ये वे लोग हैं, जो कश्मीर घाटी में विध्वंसक गतिविधियों के लिए पाकिस्तान से धन लेते रहे हैं।
 
मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने देश में कई बड़े आर्थिक सुधार किए हैं जिनमें प्रमुख रूप से नोटबंदी और देश में जीएसटी का लागू होना है। एक समय ऐसा लग रहा था कि नोटबंदी का देश में बड़े पैमाने पर विरोध होगा लेकिन विपक्ष के विरोध के बावजूद देश की आम जनता ने मोदी के नोटबंदी के फैसले को खुशी-खुशी स्वीकार किया। नोटबंदी की वजह से ही देश में नकदीरहित लेन-देन बढ़ा है। नोटबंदी के बाद ही देश के अधिकतर लोगों में कैशलेस लेन-देन की जागरूकता आई है। सरकार कैशलेस लेन-देन के लिए भीम एप भी काफी समय पहले लांच कर चुकी है जिसने नकदीरहित लेन-देन में एक अहम भूमिका निभाई है। आज के समय में व्यक्ति को नकद रखने कि कोई जरूरत नहीं है, आज सिर्फ आदमी के मोबाइल में भीम एप होना चाहिए।
 
इसके साथ ही मोदी ने देश में 1 जुलाई 2017 से जीएसटी (वस्तु एवं सेवाकर) को लागू कराया। भारतीय संविधान में वस्तु एवं सेवाकर व्यवस्था को लागू करने के लिए संशोधन किया गया है। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को देश में लागू करा पाना भी मोदी सरकार के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी लेकिन मोदी सरकार ने इस चुनौती का सामना करते हुए अंतत: इसमें सफलता प्राप्त की। वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) भारत की सबसे महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष कर सुधार योजना है जिसका उद्देश्य राज्यों के बीच वित्तीय बाधाओं को दूर करके एक समान बाजार को बांधकर रखना है। इसके माध्यम से संपूर्ण देश में वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान कर लगाया जा रहा है। इससे देश के सभी नागरिकों और व्यापारियों को सीधा-सीधा फायदा मिल रहा है और कालाबाजारी तथा चोरी पर रोक लगाने में मदद मिल रही है। जीएसटी परिषद ने इसमें 4 तरह के कर निर्धारित किए हैं और ये 5, 12, 18 एवं 28 प्रतिशत हैं।
 
हालांकि सरकार ने बहुत सी चीजों को जीएसटी से छूट दी है। वार्षिक 20 लाख से कम की बिक्री वाले व्यापारियों को जीएसटी व्यवस्था से छूट दी गई है। इस कर व्यवस्था से देश में करदाताओं की संख्या में कई गुना इजाफा हुआ है और इसका सीधा-सीधा फायदा देश को हो रहा है। लेकिन मोदी सरकार ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को तो देश में लागू करा दिया लेकिन मोदी सरकार वस्तु एवं सेवाकर के फायदे लोगों तक पहुंचाने में नाकाम रही है।
 
आज भी देश में बहुत सारे व्यापारी लोग (एक बहुत बड़ा वर्ग) अपने उद्योगों की मंदी के लिए जीएसटी को जिम्मेदार मानते हैं। सरकार इन्हीं व्यापारियों को अब तक वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के फायदे बताने में नाकाम रही है। सरकार की यही नाकामी मोदी के लिए आगामी 2019 के लोकसभा चुनावों में भारी पड़ सकती है। अगर सरकार अब भी अपने प्रचार तंत्र को मजबूत कर देश के प्रत्येक व्यापारी तक जीएसटी के खिलाफ भ्रम को दूर करने में कामयाब रहती है तो यह मोदी सरकार के लिए बहुत बड़ी कामयाबी होगी। इसके साथ ही सरकार जीएसटी रेट स्लैब को 5, 12, 18 एवं 28 प्रतिशत से बदलकर एक ही रेट स्लैब में करती है तो इसका फायदा देश की आम जनता को होगा।
 
इसके साथ ही मोदी के नेतृत्व में 'प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना' के तहत वर्तमान वित्तीय वर्ष (2018-19) तक देशभर में 5.5 करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन मिल चुका है, जो कि सरकार का बहुत बड़ा कदम है। सरकार द्वारा 'प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना' को लागू करने का मुख्य उद्देश्य पूरे भारत में स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना है और इससे इससे वायु प्रदूषण में भी कमी लाना सरकार का अहम लक्ष्य है। इसके साथ ही इससे महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा और महिलाओं के स्वास्थ्य की भी सुरक्षा की जा सकती है।
 
पहले गरीब महिलाओं को चूल्हे पर लकड़ी या उपलों द्वारा भोजन बनाना पड़ता था जिससे वायु प्रदूषण के साथ-साथ महिलाओं के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता था लेकिन आज देश के 5.5 करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों के पास एलपीजी गैस कनेक्शन उपलब्ध हैं। लेकिन सरकार ने 5.5 करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों को 'प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना' के अंतर्गत मुफ्त में गैस कनेक्शन तो वितरित कर दिए हैं लेकिन एलपीजी गैस ईंधन का महंगा होना भी गरीब लोगों को गैस कनेक्शन होने के बावजूद एलपीजी गैस की पहुंच से दूर करता है। एलपीजी गैस ईंधन की बढ़ती कीमतों को कम करने के बारे में भी सरकार को आज बड़े स्तर पर विचार करने की जरूरत है तभी गरीब महिलाओं इस 'प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना' का असल रूप से पूर्णत: लाभ होगा।
 
इसके साथ ही मोदी सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जन-धन योजना के अंतर्गत 33.61 करोड़ से ज्यादा लोगों के जीरो बैलेंस पर खाते खुलवाए गए। सरकार ने संसद के शीत सत्र (2018) में एक सवाल के जवाब में बताया है कि इन जन-धन योजना खातों में जमा राशि करीब 85,913 करोड़ रुपए है। मोदी सरकार की इस योजना से देश के हर गरीब व्यक्ति पर बैंक में अपना खाता है जिसमे वह अपनी बचत को सुरक्षित रख सकता है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना भी देश में एक क्रांति की तरह है जिसका सीधा-सीधा फायदा आम गरीब को मिला। यह योजना मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धियों में से एक है।
 
मोदी सरकार कोयला, स्पेक्ट्रम और पर्यावरण के मामलों में पूर्ण पारदर्शिता लेकर आई है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए 2022 तक भारत के प्रत्येक नागरिक को एक छत देने का संकल्प लिया है। इसमें हर साल के हिसाब से लक्ष्य तय किए गए हैं। इसके अलावा हार्ट स्टेंट की कीमतों में 80 प्रतिशत की कटौती की है। मोदी सरकार ने नौकरियों में रिश्वतखोरी को रोकने के लिए ग्रेड 3 और 4 की नौकरियों में इंटरव्यू को पूर्णत: खत्म कर दिया है।
 
स्वच्छ भारत के लिए भी प्रधानमंत्री ने खुद रुचि दिखाई है और 'स्वच्छ भारत अभियान' को एक जन-आंदोलन बना दिया है। इसके लिए 'स्वच्छता ही सेवा' नाम से बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है। जब मोदी सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी तब देश का कोई भी राज्य खुले में शौच (ओडीएफ) की समस्या से मुक्त नहीं था लेकिन आज 97.47 प्रतिशत भारतीयों के घरों में शौचालय की सुविधा है। मोदी ने लक्ष्य रखा है कि 2 अक्टूबर 2019 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक देश को पूर्णत: खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) करना है और सरकार अपने लक्ष्य को आज साकार करने की स्थिति में है। खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) भारत की जनता का अधिकार था, जो कि भारत की सरकार देश के नागरिकों को दे रही है। लेकिन देश खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) हो जाता है तो देश की साफ-सफाई और स्वच्छता (ओडीएफ प्लस) सरकार का अगला लक्ष्य होगा। देश साफ-सुथरा और स्वच्छ (ओडीएफ प्लस) तभी होगा जब ये मुहिम एक जन-आंदोलन बनेगी, क्योंकि (ओडीएफ) भारत के लोगों का अधिकार है लेकिन (ओडीएफ प्लस) भारत के लोगों की जिम्मेदारी है।
 
इसके अलावा प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत गरीबों के लिए ऋण की व्यवस्था सरकार ने की है। मोदी सरकार ने नारियों के सशक्तीकरण के लिए भी कई घोषणाएं की हैं जिसमें उज्जवला योजना व बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ प्रमुख रूप से हैं। इसके अलावा भी सरकार ने महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते किया है। इसके साथ-साथ गर्भावस्था में महिलाओं के पोषण के लिए 6,000 रुपए की व्यवस्था की है। युवाओं के लिए भी सरकार स्किल इंडिया योजना के माध्यम से अवसर दे रही है। इसके माध्यम से 1 करोड़ युवाओं को प्रशिक्षण मिलेगा। इसके अलावा भी सरकार स्टार्टअप योजना के तहत भी युवाओं को मौके दे रही है।
 
किसानों के लिए भी सरकार ने नीमकोटेड यूरिया की व्यवस्था की है। नीमकोटेड यूरिया इस्तेमाल के बाद जहां एक ओर यूरिया की कालाबाजारी कम हुई है, वहीं अब यूरिया के उपयोग पर गैरकृषि कार्यों में प्रतिबंध लगा है। इसके साथ ही किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भी लागू की गई है। इसके माध्यम से किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदा की स्थिति में हुई हानि को किसानों के प्रीमियम का भुगतान देकर एक सीमा तक कम कराएगी। इसके अलावा भी मोदी सरकार द्वारा देश में अनेक जनहित की योजनाएं चलाई जा रही है जिनका सीधा-सीधा फायदा आम आदमी को हो रहा है।
 
स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी मोदी सरकार काफी काम कर रही है। इसके लिए आयुष्मान भारत योजना या मोदीकेयर सरकार की महत्वपूर्ण योजनाएं हैं जिसे 1 अप्रैल 2018 को पूरे भारत मे लागू किया गया है। इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर लोगों और गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले (बीपीएलधारक) को स्वास्थ्य बीमा मुहैया कराना है। इसके अंतर्गत आने वाले प्रत्येक परिवार को मोदी सरकार द्वारा 5 लाख तक का कैशरहित स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जा रहा है। अगर आयुष्मान भारत योजना देश में सही तरीके से क्रियान्वित होती है, तो देश में स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह बहुत बड़ी क्रांति होगी जिसका सीधा-सीधा फायदा आम गरीब आदमी को मिलेगा। मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के 10 करोड़ परिवारों को सीधा-सीधा फायदा मिलेगा। इस तरह से देश की लगभग 50 करोड़ आबादी इस योजना का लाभ उठा सकेगी।
 
मोदी ने तीन तलाक के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं की आवाज बनकर इस मुद्दे को सार्वजनिक मंचों से उठाया। ऐसा देश में पहली बार हुआ कि किसी प्रधानमंत्री ने तीन तलाक के खिलाफ मुखर होकर आवाज उठाई हो। इसका नतीजा ये रहा कि उच्चतम न्यायालय ने 22 अगस्त 2017 को तीन तलाक मसले पर कई मुस्लिम महिलाओं की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अपने फैसले में देश की सर्वोच्च अदालत ने तीन तलाक की प्रथा को 'अमान्य', 'अवैध' और 'असंवैधानिक' करार दिया है। यह फैसला देश की लाखों-करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए जश्न का विषय था, क्योंकि यह फैसला महिलाओं के समानता के अधिकार और संवैधानिक अधिकारों की जीत थी।
 
मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए तीन तलाक बिल भी लेकर आई है, जो कि लोकसभा में तो पास हो चुका है। इस बिल के मुताबिक तीन तलाक या तलाक-ए-बिद्दत गैरकानूनी होगा। बिल के अंतर्गत प्रावधान है कि अगर कोई पति अपनी पत्नी को मुंहजुबानी, लिखकर या किसी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से तलाक कहता है तो वो गैरकानूनी होगा। अगर यह बिल आने वाले समय में देश के उच्च सदन राज्यसभा में पारित होता है तो यह कानून बन जाएगा और इससे मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार रुकेंगे और उनके अधिकारों की भी रक्षा होगी।
 
जबसे मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं, उनके नेतृत्व में देश ने कई गुना तरक्की की है। साथ-साथ सरकार ने कई बड़े और प्रभावी कदम उठाए हैं जिनका सीधा-सीधा सरोकार गरीब आम आदमी से था। इसके साथ ही मोदी सरकार ने अपनी योजनाओं के माध्यम से देश के अंतिम आदमी तक पहुंचने का प्रयास किया है, जो कि सराहनीय कदम है। मोदी ऐसे व्यक्ति हैं, जो हर चीज को रचनात्मक रूप से पेश करते हैं और आम व्यक्ति को इससे जोड़ते हैं और जन-आंदोलन बना देते हैं तभी वे हर कार्य में सफल हो पाते हैं। अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले साल में मोदी को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और मोदी इन चुनौतियों से कैसे निपट पाएंगे?
 
बीते वर्ष 2018 में मोदी सरकार द्वारा अनेक नई शुरुआतें की गई हैं तथा कई महत्वपूर्ण योजनाएं आरंभ की गई हैं। अब मोदी सरकार को इन योजनाओं को इनकी परिणति तक पहुंचाना होगा और अच्छे परिणाम देने होंगे जिससे कि देश के हर व्यक्ति तक विकास पहुंच सके। मोदी सरकार को शासन को सभी स्तरों पर कुशल, पारदर्शी, भ्रष्टाचारमुक्त, जवाबदेह और नागरिक अनुकूल बनाना होगा जिसके लिए मोदी व्यक्तिगत रूप से प्रयासरत हैं। वर्ष 2019 में मोदी सरकार को महिलाओं की सुरक्षा के साथ-साथ बेहतर लैंगिक संवेदनशीलता भी सुनिश्चित करनी होगी।
 
कहा जाए तो मोदी को राष्ट्र को उपलब्धियों की नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए तहेदिल से और एकाग्रचित होकर प्रयास करना होगा, जो कि उनके हर प्रयास में दिखता है। मोदी के लिए वर्ष 2019 में अनेक उपलब्धियां गढ़ने का अवसर है। अगर मोदी 2019 में अपनी सरकार बनाते हैं तो यह मोदी और भाजपा के लिए बहुत बड़ी जीत होगी। अब देखने वाली बात होगी कि आगामी नए साल 2019 मोदी के लिए कैसा होता है? अगर नए साल 2019 में मोदी के साथ संपूर्ण देश का नागरिक एक सशक्त, एकजुट एवं समृद्ध भारत के निर्माण की दिशा में मिलकर काम करने का संकल्प लें तो देश को आगे बढ़ने से कोई ताकत नहीं रोक सकती।
 
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