गुरुवार, 17 अप्रैल 2025
  • Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. hindi poetry
Last Updated : मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025 (14:17 IST)

नवगीत: फूल खिलें जब

Flowers bloom
जीवन की बिखरे सिहरे पथ पर,
अपनेपन के फूल खिलें जब।
उद्विग्न, दु:खी,
तिरस्कृत होकर भी। 
नि:शब्द विवश,
सब कुछ खोकर भी।
मन में आस विहास लिए
हंसना अबकी बार मिलें जब।
अर्थहीन नीरस,
सपने हों।
टीस बढ़ाते,
जब अपने हों।
दर्द के कुछ साझे शब्दों में,
कहना कुछ तुम ओंठ सिलें जब।
तमस भरी,
अंतस की रातें।
छल प्रपंच ,
की सारी बातें।
पीड़ा पर्वत शिखर खड़ी हो ,
मुस्काना आंसू निकलें जब।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
ये भी पढ़ें
वेलेंटाइन डे पर हिन्दी में अनूठा निबंध