• Webdunia Deals
  1. लाइफ स्‍टाइल
  2. साहित्य
  3. काव्य-संसार
  4. Hindi Poem Daheji Danav

हिन्दी कविता : दहेजी दानव

daheji danav
दहेजी दानव ने बगराया
भारी भष्टाचार जी 
इस दानव को मार भगाओ
है जन-जन का भार जी 
 
पुत्र जन्म लेते ही घर में
लहर खुशी की छा जाती
बेटी बिन भई जग है सूना
फिर कहर क्यों बन जाती 
 
बेटी है गुणों की खान 
कोई कमी नहीं व्यवहार का
फिर भी बीतता कष्ट में जीवन
ताने सहते ससुराल का

शिक्षा को तुम ढाल बनाकर
खात्मा करो रूढ़ि संस्कार का
कड़वा घुट कल पड़े न पीना
हीन दासता अत्याचार का 
 
पैसे को भगवान समझ कर
करते अत्याचार जी 
इस दानव को मार भगाओ
है जन-जन का भार  जी