आपस में एक-दूसरे से, हो रही क्यों जंग है?
लहू तो एक रंग है, लहू तो एक रंग है।
हर तरफ तो शोर है, किस पर किसका जोर है?
ढल रही है चांदनी, आने वाली भोर है।
रक्त का ही खेल है, रक्त का ही मेल है,
क्यों इतना अभिमान है, रक्त तो समान है।
रक्त न जाने है धर्म, रक्त न जाने है जाति,
रक्त भी अनमोल है, मत बहाओ पानी की भांति।
भाईचारा छोड़कर, क्यों लड़ रहे हैं हम सभी,
मजहब के नाम पर, क्यों मर रहे हैं हम सभी।
छोड़ दो आपस में लड़ना, तोड़ दो सारी दीवार,
दिखा तो तुम सभी को, हम एक-दूसरे के संग हैं।
लहू तो एक रंग है, लहू तो एक रंग है।