नए साल पर कविता : स्वागत नव-वर्ष का...
विदा होते वर्ष अठारह की यह विदाई-आशीष हो।
नवागत वर्ष किसी भी पैमाने पर न विगत वर्ष से उन्नीस हो।।1।।
विकास का हो नव-जनवरी, सहिष्णुता-सुरभि फरवरी-मार्च की।
नव-सफलताओं भरा अप्रैल हो, उपलब्धियों से सजे मई ।।
उभरें खुशियां चारों तरफ, उदासी न रह जाए कहीं ।। 2।।
विषमताएं मिटाता हो जून माह, नव-संकल्पों भरा जुलाई हो।
अगस्त हो नए अहसासों भरा, फसल भरे खेतों में सितंबरी तरुणाई हो ।। 3।।
अक्टूबर हो वैज्ञानिकी हौसलों का, नवंबर नष्ट करे उग्रवादी घातें।
हजार उपलब्धियों की श्रृंखला सजी हों, दिसंबर माह के आते-आते ।। 4।।
इन्हीं इरादों / अभिलाषाओं के साथ स्वागत हम करें नव-वर्ष का।
मलिनताओं से सतत संघर्ष का, चतुर्दिश खुशहाली का उत्कर्ष का ।।5।।