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वसंत पंचमी: वसंत ऋतु पर पढ़ें 2 कविताएं

वसंत पंचमी: वसंत ऋतु पर पढ़ें 2 कविताएं - Basant Panchami Poems
Vasant panchami poem
 
वसंत पंचमी का मन मोहने वाला पर्व है। इसे ऋतुराज वसंत के नाम से जाना जाता है। यह पर्व मन में खुशी और उत्साह लाता है। यहां पढ़ें वासंती पर्व पर 2 कविताएं...

होकर मगन आया है वसंत
- विवेक हिरदे
 
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत
राजा है ये ऋतुओं का आनंद है अनंत।
 
पीत सोन वस्त्रों से सजी है आज धरती
आंचल में अपने सौंधी-सौंधी गंध भरती।
 
तुम भी सखी पीत परिधानों में लजाना,
नृत्य करके होकर मगन प्रियतम को रिझाना।
 
सीख लो इस ऋतु में क्या है प्रेम मंत्र
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।
 
राजा है ऋतुओं का आनंद है अनंत
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।
 
नील पीत वातायन में तेजस प्रखर भास्कर
स्वर्ण अमर गंगा से बागों और खेतों को रंगकर।
 
स्वर्ग सा गजब अद्भुत नजारा बिखेरकर
लौट रहे सप्त अश्वों के रथ में बैठकर।
 
हो न कभी इस मोहक मौसम का अंत
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।
 
राजा है ऋतुओं का आनंद है अनंत
गाओ सखी होकर मगन आया है वसंत।

पीत अमलतास
- सुशील कुमार शर्मा 
 
पीत अमलतास,
नीरव-सा क्यों उदास है।
सत्य के संदर्भ का,
चिर परिवर्तित इतिहास है।
सर्जना को संजोये,
दर्द का संत्रास है।
 
अहं की अभिव्यंजना,
उपमान मैले हो गए।
अनुभूतियां निसृत हुईं,
बिम्ब धुंधले सो गए।
शब्द-लय सब सिमटकर,
छंद छैले हो गए।
 
वेदना अस्तित्व की,
स्वपन तृप्ति के गहे। 
प्रेम से संपुटित मन, 
विरह दर्द क्यों सहे। 
तृषित शांत जिजीविषा,
सरिता-सी क्यों बहे।
 
अरुणाली-सी पौ फटी,
हरसिंगार हर्षित है।
निशा लोहित मधुकामनी,
प्रेम सलिल मोहित है।
स्मृति के घटाटोप,
निर्विकल्प निसृत हैं।
 
अनिमेष-सी निर्वाक सांध्य,
प्रेम-सी उधार है।
क्षितिज के सुभाल पर,
धूल का गुबार है।
महाशून्य, स्तब्ध मौन,
नाद का आधार है।


basant panchami 2022