रिश्तों में मिठास तो समझो वसंत
मन में न हो खटास तो समझो वसंत है
अजहर हाशमी रिश्तों में हो मिठास तो समझो वसंत हैमन में न हो खटास तो समझो वसंत है। आँतों में किसी के भी न हो भूख से ऐंठनरोटी हो सबके पास तो समझो वसंत है। दहशत से रहीं मौन जो किलकारियाँ उनके होंठों पे हो सुहास तो समझो वसंत है। खुशहाली न सीमित रहे कुछ खास घरों तक जन-जन का हो विकास तो समझो वसंत है। सब पेड़-पौधे अस्ल में वन का लिबास हैंछीनों न ये लिबास तो समझो वसंत है।