इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यहां बैठकर विद्वजन मन की बात कर सकते हैं। वर्तमान में मुख्य रूप से जो साहित्य छप रहा है, उस पर विचार विमर्श कर सकते हैं। उन्होंने इस अवसर पर राजस्थानी भाषा के साहित्यकार दिवंगत विजयदान देथा विज्जू को याद करते हुए कहा कि उन्होंने राजस्थानी भाषा को महत्व दिलाया।
आयोजकों के अनुसार जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 23 से 27 जनवरी तक जयपुर के डिग्गी पैलेस होटल में आयोजित हो रहा है। इसी के समानांतर 23 से 25 जनवरी तक जयपुर म्यूजिक स्टेज क्लार्क्स आमेर में होगा जहां गेविन जेम्स, रिक्की केज, लीसा मैरी सिम्मोंस, आभा हंजुरा, परवाज़ जैसे कलाकार शिरकत करेंगे।
‘सबसे बड़े साहित्यिक उत्सव’ के रूप में विख्यात, ज़ी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में 500 से ज्यादा वक्ता और कलाकार हैं, जिनमें, 15 भारतीय और 35 अंतर्राष्ट्रीय भाषा, 30 से अधिक राष्ट्रीयताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। वक्ताओं में नोबेल पुरस्कार से लेकर, मैन बुकर, पुलित्ज़र, साहित्य अकादमी, डीएससी साउथ एशियन लिटरेचर, कॉमनवेल्थ बुक प्राइज विजेता शामिल हैं। फेस्टिवल में दुनिया के श्रेष्ठ चिंतक और लेखक शामिल हो रहे हैं।
इस वर्ष फेस्टिवल में साहित्य अकादमी विजेता भी शामिल होंगे, जिनमें हिंदी कवि और आलोचक अशोक वाजपेयी, बहु-आयामी लेखिका चित्रा मुद्गल, कवि और उपन्यासकार केकी एन. दारूवाला, कवि, कल्चरल थियोरिस्ट और क्यूरेटर रंजित होस्कोटे शामिल हैं।
फिक्शन पर आधारित एक सत्र में दुनिया के पांच सुप्रसिद्ध उपन्यासकार - एलिजाबेथ गिल्बर्ट, लीला स्लीमानी, अवनि दोशी, जॉन लंचेस्टर और होवार्ड जैकब सन उपन्यास की कला पर डेमियन बर्र के साथ संवाद करेंगे। सत्र में ‘फिक्शन कहां से आता है?’ सवाल पर चर्चा होगी।
इस बार 13वें जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में देश की विविधता को ध्यान में रखते हुए, ज्यादा से ज्यादा देशों की भाषाओं और बोलियों के नामचीन साहित्यकार, लेखक भी शामिल होंगे। इनमें असमी, बंगाली, गुजराती, हिंदी, मलयालम, मराठी, नागामी, उड़िया, प्राकृत, राजस्थानी, संस्कृत, संथाली, तमिल और उर्दू बोलने वाले वक्ता शामिल हैं।