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अपने परिवेश को महसूस करें हम : गुलजार

अपने परिवेश को महसूस करें हम :  गुलजार - jaipur literature festival 2017
जयपुर साहित्य उत्सव से
 
बॉलीवुड के कई हिट गानों को कलमबद्ध करने वाले दिग्गज कवि-गीतकार गुलजार ने जयपुर साहित्य उत्सव में कहा कि कोई भी व्यक्ति अपने देश में घटित होने वाली घटनाओं से अछूता नहीं रह सकता है और लोगों को अपने आसपास के परिवर्तन के बारे में ‘सोचने’ और ‘महसूस करने’ की जरूरत है।
अपनी नई पुस्तक 'सस्पेक्टेड पोएम्स' के विमोचन के अवसर पर उन्होंने यह बात कही। इस पुस्तक में भारत की राजनीति से जुड़े कटु पहलुओं के बारे में बात की गई है। साथ ही टैटू, अखबार, राजनीतिक रैली और दलित भी इस किताब में शामिल कविताओं के विषय के केंद्र में हैं। इस संग्रह में एक कविता दिवंगत लेखक एम एम कलबुर्गी पर भी है।
 
82 वर्षीय गुलजार ने कहा,'हमें निश्चित तौर पर अपने राष्ट्र और उसके पर्यावरण के बारे में सोचना चाहिए..आपके लिए यह महसूस करना जरूरी है कि आपके आसपास जो घटित हो रहा है और इसके बारे में सूचित करने की जिम्मेदारी मेरी है।'' गुलजार की पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद करने वाले सांसद पवन वर्मा ने कहा कि यह 'मुश्किल' कार्य था, खासकर इसलिए क्योंकि कविताओं में कई चीजें एक साथ हैं। बकौल वर्मा ये कविताएं गुदगुदाती हैं और साथ ही समकालीन भारत में हो रहे परिवर्तनों पर तीखी निगाह रखती हैं।
 
किताब के शीर्षक के बारे में गुलजार ने कहा कि उनका हमेशा से यह मानना रहा है कि हर कविता के पीछे एक कविता होती है।
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