'ए हैंडफ़ुल ऑफ़ पर्पल स्काई ’ के बहाने होगी कैंसर जैसी बीमारी को हराने पर चर्चा
ऐमरिलिस पब्लिशिंग और क्लब लिटराटी एक बार फिर साथ आएं हैं, मौका है मृदुला बाजपेयी (प्रिंसिपल कमिश्नर इनकम टैक्स) की किताब
'ए हैंडफ़ुल ऑफ़ पर्पल स्काई: माय सेकेंड चान्स एट लाइफ़' के लोकार्पण का। इसे रविवार 18 जून, शाम 5 बजे ज़ूम पर आयोजित किया जा रहा है।
डॉ सीमा रायज़ादा (क्लब लिटराटी की प्रेजिडेंट और संस्थापक) इस मौके पर लेखिका से संवाद करेंगी और उनसे कैंसर जैसी बीमारी से लड़ने की कहानी को सबके सामने प्रेरणास्वरूप रखेंगी।
इसका लिंक एमेरीलिस, मंजुल पब्लिशिंग हाउस और क्लब लिटराटी के फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज पर उपलब्ध है।
'ए हैंडफ़ुल ऑफ़ पर्पल स्काई' मध्य प्रदेश की प्रिंसिपल कमिश्नर इनकम टैक्स तथा कैन्सर से जंग जीत चुकीं मृदुला बाजपेयी की आत्मकथा है। पुस्तक में स्तन कैन्सर से पीड़ित और जीवित रहने से संबंधित जीवन-यात्रा का विवरण है।
पुस्तक का शीर्षक इस अर्थ में दिलचस्प है कि यह निराशाजनक नहीं है और उन लोगों के दिलों में आशा की किरण जगाता है जो दुर्भाग्यवश कैन्सर का सामना कर रहे हैं।
मृदुला बाजपेयी का संघर्ष सच्चा है, और यह जानने के बाद कि कैन्सर काफ़ी विकसित अवस्था में है, उनके अस्तित्व की लड़ाई आंखें खोलने वाली है। यह किताब यह भी बताती है कि कैन्सर होने की बात सुनते ही बाजपेयी का जीवन के प्रति द़ृष्टिकोण कैसे बदल गया।
उन्होंने अपने जीवन को और अधिक अहमियत देना शुरू कर दिया, यह महसूस किया कि परिवार कितना अहम है, और प्रियजनों तथा पेशेवर लोगों के प्यार तथा समझ ने उन्हें अच्छे और बुरे दिनों के दौरान दिमाग़ सकारात्मक रखने की दिशा में काम किया। यह पुस्तक यह भी बताती है।
उन्होंने अपनी भावनात्मक उथल-पुथल और कीमोथेरेपी तथा रेडियोथेरेपी के दौरान मानसिक रूप से स्वयं को कैसे तैयार किया। पुस्तक में कुछ व्यावहारिक सलाहें स्पष्टत: शामिल की गई हैं जो आपको शांत रहना भी सिखाती हैं। कैन्सर से पीड़ित होने पर जीवनशैली में ढेरों बदलाव लाने होते हैं और बाजपेयी का प्रथम पुरुष के रूप में विवरण प्रशंसनीय है।
यदि सही समय पर सही उपचार नहीं किया जाता है, तो कैन्सर एक जानलेवा बीमारी बन जाता है और यह ज़रूरी है कि डॉक्टर और देखभाल करने वाले समझें कि क्या ग़लत है, वे सही निदान करें और रोगी का सही उपचार शुरू करें।