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Written By WD

कुंभक से खोले शरीर और मन की ग्रंथी

कुंभक प्राणायाम
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ग्रंथी का अर्थ होता है गांठ। शरीर में मुख्यत: तीन प्रकार की ग्रंथियां हैं। मन में भी गांठ बन जाने से कई प्रकार के मानसिक रोग उत्पन्न हो जाते हैं। गांठ बनने के कई शरीरिक और मानसिक कारण हैं।

*बहुत से रोगों में असरकार है कुंभक
*चित्त की ग्रंथियां खोलकर शरीर को मजबूत बनाता है
*दिमाग और फेंफड़ों के लिए लाभदाय

शरीर में नाभि स्थान में ब्रम्हा ग्रंथी, हृदय स्थान में विष्णु ग्रंथी तथा उत्थान में रुद्र ग्रंथी है, ऐसा कुछ योगियों का मत है। कुछ योगियों के अनुसार ब्रम्हा ग्रंथी का स्थान हृदय, विष्णु ग्रंथी का स्थान कंठ और रुद्र ग्रंथी का स्थान नाभि है।

यह ग्रंथियां सुक्ष्म होती है। इनके रोग ग्रस्त होने का कारण है अनियमित भोजन तथा जीवन शैली के साथ ही शोक, चिंता तथा कुंठा। इसका ज्यादातर संबंध मन और मस्तिष्क से रहता है। हालांकि शरीर यदि रोग ग्रस्त हैं तो मन भी रोग ग्रस्त हो ही जाता है।

कैसे खोले ग्रंथी : योग अनुसार भस्त्रिका कुम्भक प्राणायाम का नियमित अभ्यास करने से यह ग्रंथियां खुलने लगती है और व्यक्ति शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ्‍य होने लगता है। इसके बाद पांच मिनट का ध्यान करके मस्तिष्क हो और भी स्थि‍र किया जा सकता है।

लाभ : अध्यात्मिक प्रगतिकाल में आंतरिक रहस्य प्रवाह के समय ये तीनों गांठें रुकावट पैदा करती हैं। अतः सिद्धि, प्रसिद्धि और समाधि के लिए ग्रंथियों को खोलना जरूरी है। इसके खुलने से सामान्य तौर पर व्यक्ति खुले दिमाग और विचारों वाला बन जाता है। सभी तरह की चिंता जाती रहती है तथा व्यक्ति स्वस्थ और प्रसन्नचित्त रहता है।