बुधवार, 30 अप्रैल 2025
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Written By ND

पैरीफैरल एंजियोप्लास्टी?

पैरीफैरल एंजियोप्लास्टी
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फ्रांस के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मिशेल हैनरी 'पैरीफैरल एंजियोप्लास्टी' विषय पर इंदौर में कार्डियोलॉजिस्ट्स की एक कार्यशाला को संबोधित करने आए हैं। उन्होंने कहा कि भविष्य में केवल एंजियोप्लास्टी ही होगी क्योंकि सभी पहले ही इसका लाभ लेकर ठीक हो चुके होंगे। यूरोप और अमेरिका जैसे विकसित देशों में बायपास सर्जरी कम होती है जबकि एंजियोप्लास्टी का प्रतिशत बहुत अधिक है। यह जानकारी एक विशेष मुलाकात में दी।

डॉ. मिशेल हैनरी ने कहा एंजियोप्लास्टी केवल दिल के रोगों के लिए ही कारगर नहीं है बल्कि शरीर की अन्य आर्टरीज के ब्लॉकेज में भी उपयोगी साबित हुई है। दरअसल गरदन की नसों, हाथ-पैरों की नसों या शरीर के अन्य स्थानों की नसों में भी ब्लॉकेज होते हैं जो बहुत तकलीफ दायक होते हैं। 80 प्रतिशत मरीजों के पैर सिंपल बैलून एंजियोप्लास्टी से बचाए जा सकते हैं।

पैर बचाने से आपका क्या तात्पर्य है?
यदि मरीज के पैरों की नसों में ब्लाकेज हो जाए तो वह भले ही दर्द निवारक गोलियाँ खाकर काम चलाता रहेगा लेकिन ठीक से इलाज नहीं कराएगा। बाद में स्थिति ऐसी बन जाती है कि मरीज के पैर में गैंगरीन हो जाता है और काटने की नौबत आ जाती है। यदि पहले ही बैलून एंजियोप्लास्टी करा लिया होता तो पैर काटने की स्थिति ही नहीं बनती।

एंजियोप्लास्टी कहाँ तक आ पहुँची है?
आज स्थिति यह है कि हम शरीर की सभी आर्टरीज की एंजियोप्लॉस्टी कर सकते हैं। मैंने आज जिस 26 साल के मरीज के पैर की एंजियोप्लास्टी की है उसके पैर में ब्लॉकेज था। मेरे साथ ओटी में डॉ. तरुण गाँधी और डॉ. गिरीश कवठेकर की टीम थी। हमने मरीज के ब्लॉकेज में बैलून लगाकर उसका पैर बचाने की कोशिश की है।
  फ्रांस के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मिशेल हैनरी 'पैरीफैरल एंजियोप्लास्टी' विषय पर कार्डियोलॉजिस्ट्स की एक कार्यशाला को संबोधित करने आए हैं। उन्होंने कहा भविष्य में केवल एंजियोप्लास्टी ही होगी क्योंकि सभी पहले ही इसका लाभ लेकर ठीक हो चुके होंगें।      


इंटरवेंशनल एंजियोप्लास्टी और बायपास सर्जरी दोनों में से कौन सी चिकित्सा पद्धति मरीज के लिए कारगर है?
मरीज के लिए वही टैक्नोलॉजी फायदेमंद है जिसमें समय और पैसा कम लगे तथा शरीर को भी कम नुकसान हो। यदि मरीज अपनी सालाना जाँचे बराबर कराते रहें तो उनके ब्लॉकेज बहुत छोटी अवस्था में ही पकड़ में आ सकेंगे। ऐसी अवस्था में इंटरवेंशनल एंजियोप्लास्टी मरीज के लिए फायदेमंद साबित होती है।

कितनी सफल है एंजियोप्लास्टी?
यह उस पर निर्भर है कि ब्लॉकेज कौनसी आर्टरी में हुआ है। पैरीफैरल आर्टरी में एंजियोप्लास्टी का रिजल्ट 98 प्रतिशत है। कोरोनरी एंजियोप्लास्टी के केवल 10 प्रतिशत मरीजों में ही फिर से ब्लॉकेज होने की आशंका रहती है। ब्लॉकेज जल्दी पक़ड़ में आ सकें तो सफलता का प्रतिशत और ब़ढ़ सकता है।

इंटरवेंशनल प्रोसीजर में कितना जोखिम है?
इस प्रोसीजर में जान को 0 प्रतिशत रिस्क होता है जबकि बायपास सर्जरी में 1-5 प्रतिशत जोखिम हमेशा बना रहता है तथा ब्लाकेज अधिक ब़ड़े हों तो जोखिम और अधिक हो जाता है।

इंटरवेशनल प्रोसीजर के अलावा कोई दूसरी टैक्निक है ब्लॉकेज हटाने की?
कोई एक विकल्प हमेशा कारगर नहीं होगा। हमेशा एंजियोप्लास्टी और वैकल्पिक चिकित्सा मरीज के लिए कारगर साबित होगी।

आप भविष्य की तकनीक में किस नए पन की उम्मीद कर रहे हैं?
पहले प्लेन बैलून आए, फिर ड्रग एल्यूडिंग स्टैंट आ गए। अब उम्मीद करता हूँ कि स्टैंट की मौजूदा दवाओं में तेजी से बदलाव आएगा। नई दवाएँ शामिल होंगी। बैलून और वायर की टेक्नोलॉजी में भी तेजी से बदलाव हो रहा है। चिकित्सा विज्ञान मरीज की बेहतरी के लिए नित नई खोजें कर रहा है।

बातचीत के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि विकसित देशों में मरीज का ब्लॉकेज बहुत संगीन हो उसके पहले ही पकड़ लिया जाता है। भारत जैसे देशों में अभी प्रारंभिक जाँच के प्रति बहुत जागरूकता नहीं आई है। यही वजह है कि यहाँ मरीज बहुत गंभीर अवस्था में ही अस्पताल तक पहुँचता है।