रोग का समूल उपचार रेकी से
रेकी का इतिहासहमारा देश आध्यात्मिक शक्तियों से संपन्न देश है। हजारों वर्ष पूर्व भारत में स्पर्श चिकित्सा का ज्ञान था। अथर्ववेद में इसके प्रमाण पाए गए हैं, किंतु गुरु-शिष्य परंपरा के कारण यह विद्या मौखिक रूप से ही रही। लिखित में यह विद्या न होने से धीरे-धीरे इस विद्या का लोप होता चला गया। 2500
वर्ष पहले भगवान बुद्ध ने ये विद्या अपने शिष्यों को सिखाई ताकि देशाटन के समय जंगलों में घूमते हुए उन्हें चिकित्सा सुविधा का अभाव न हो और वे अपना उपचार कर सकें। भगवान बुद्ध की 'कमल सूत्र' नामक किताब में इसका कुछ वर्णन है।19
वीं शताब्दी में जापान के डॉ. मिकाओ उसुई ने इस विद्या की पुनः खोज की और आज यह विद्या रेकी के रूप में पूरे विश्र्व में फैल गई है। डॉ. मिकाओ उसुई की इस चमत्कारिक खोज ने 'स्पर्श चिकित्सा' के रूप में संपूर्ण विश्व को चिकित्सा के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान की है।रेकी सीखने के लाभ1.
यह शारीरिक, मानसिक तथा भावनात्मक स्तरों को प्रभावित करती है।2.
शरीर की अवरुद्ध ऊर्जा को सुचारुता प्रदान करती है।3.
शरीर में व्याप्त नकारात्मक प्रवाह को दूर करती है।4.
अतीद्रिंय मानसिक शक्तियों को बढ़ाती है।5.
शरीर की रोगों से लड़ने वाली शक्ति को प्रभावी बनाती है।6.
ध्यान लगाने के लिए सहायक होती है।7.
समक्ष एवं परोक्ष उपचार करती है।8.
सजीव एवं निर्जीव सभी का उपचार करती है।9.
रोग का समूल उपचार करती है।10.
पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करती है।
रेकी की पात्रताकोई भी व्यक्ति रेकी सीख सकता है। यह व्यक्ति के बौद्धिक, शैक्षणिक या आध्यात्मिक स्तर पर निर्भर नहीं है, न ही इसे सीखने के लिए उम्र का बंधन है। कोई भी व्यक्ति इसे सीख सकता है। इसे सीखने के लिए वर्षों का अभ्यास नहीं चाहिए न ही रेकी उपचारक की व्यक्तिगत स्थिति के कारण उपचार पर कोई प्रभाव पड़ता है। यह क्षमता रेकी प्रशिक्षक के द्वारा उसके प्रशिक्षार्थी में सुसंगतता (एट्यूनमेंट) के माध्यम से उपलब्ध होती है, इसके प्राप्त होते ही व्यक्ति के दोनों हाथों से ऊर्जा का प्रवाह प्रारंभ हो जाता है और इस तरह वह स्वयं का तथा दूसरों का भी उपचार कर सकता है।रेकी कैसे कार्य करती है?यह शरीर के रोगग्रस्त भाग की दूषित ऊर्जा को हटाकर उस क्षेत्र को स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करती है। यह व्यक्ति के तरंग स्तर को बढ़ाती है। उसके प्रभा पंडल को स्वच्छ करती है जिसमें नकारात्मक विचार और रोग रहते है। इस क्रिया में यह शरीर के ऊर्जा प्रवाहों को सुचारु करने के साथ-साथ उन्हें बढ़ाती भी है। इस तरह यह रोग का उपचार करती है।