intermittent fasting in hindi: आज के समय में फिटनेस और हेल्थ ट्रेंड्स तेजी से बदल रहे हैं। सोशल मीडिया और हेल्थ ब्लॉग्स पर अक्सर एक शब्द सुनने को मिलता है, Intermittent Fasting यानी ऐसा डाइट पैटर्न जिसमें भोजन करने और न करने का समय तय होता है। दुनिया भर में इसे वजन घटाने और हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए अपनाया जा रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह हर किसी के लिए सही है? खासकर महिलाओं के लिए, जिनकी जीवनशैली, खानपान और शारीरिक ज़रूरतें पश्चिमी देशों की महिलाओं से काफी अलग हैं। इसलिए जरूरी है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग को आंख मूंदकर अपनाने से पहले इसके फायदों, नुकसान और सही तरीके को समझा जाए।
इंटरमिटेंट फास्टिंग क्या है?
इंटरमिटेंट फास्टिंग (IF) कोई डाइट प्लान नहीं, बल्कि ईटिंग पैटर्न है। इसमें एक तय समय पर खाना होता है और एक लंबे समय तक शरीर को उपवास की स्थिति में रखा जाता है। सबसे आम पैटर्न है 16:8 मेथड यानी 16 घंटे फास्ट और 8 घंटे का ईटिंग विंडो। इसके अलावा 5:2 मेथड भी लोकप्रिय है, जिसमें 5 दिन सामान्य भोजन और 2 दिन कम कैलोरी का सेवन किया जाता है। इस पैटर्न से शरीर को डिटॉक्स करने, फैट बर्न करने और इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाने में मदद मिलती है।
महिलाओं के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग कितनी फायदेमंद है?
भारतीय महिलाओं का खानपान पश्चिमी देशों से अलग है। यहां के पारंपरिक भोजन में अनाज, दालें, चावल, सब्जियां, रोटी, दही और मौसमी फल शामिल होते हैं। अक्सर महिलाएं घर और बाहर दोनों जिम्मेदारियों को निभाती हैं, जिससे उनका शेड्यूल काफी व्यस्त रहता है। ऐसे में लंबे समय तक खाली पेट रहना कभी-कभी मुश्किल हो सकता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू करने से पहले महिलाओं को यह समझना होगा कि उनका शरीर कितना सक्षम है और क्या उनकी दिनचर्या इस पैटर्न के अनुकूल है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग के फायदे
भारतीय महिलाओं के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग कई तरह से फायदेमंद हो सकता है -
वजन घटाने में मददगार- यह कैलोरी डेफिसिट बनाता है और शरीर जमा हुई चर्बी को ऊर्जा के लिए इस्तेमाल करता है।
हार्मोनल बैलेंस- कई रिसर्च में पाया गया है कि यह पैटर्न इंसुलिन और ग्रोथ हार्मोन को संतुलित करने में मदद कर सकता है।
पाचन सुधारता है- लगातार भोजन करते रहने से पाचनतंत्र पर दबाव बढ़ता है। उपवास से पाचन को आराम मिलता है।
मानसिक स्पष्टता- फास्टिंग से एकाग्रता और मानसिक शांति बढ़ती है, क्योंकि ब्लड शुगर लेवल संतुलित रहता है।
हृदय स्वास्थ्य- इससे कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने में भी मदद मिल सकती है।
किन महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए?
हालांकि इसके फायदे हैं, लेकिन यह हर किसी के लिए उपयुक्त नहीं है। खासकर भारतीय महिलाओं को कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए -
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं- इनके लिए यह डाइट खतरनाक हो सकती है क्योंकि बच्चे की ग्रोथ के लिए लगातार पोषण जरूरी है।
पीसीओएस/पीसीओडी की समस्या वाली महिलाएं- फास्टिंग कभी-कभी हार्मोनल असंतुलन को और बढ़ा सकता है।
थायरॉइड और ब्लड शुगर के मरीज- इन्हें डॉक्टर की सलाह के बिना IF नहीं अपनाना चाहिए।
कमज़ोर शरीर या एनीमिया की समस्या- लंबे समय तक फास्टिंग से शरीर में पोषण की कमी हो सकती है।
सही तरीके से कैसे करें इंटरमिटेंट फास्टिंग?
यदि आप इसे अपनाने का विचार कर रही हैं, तो शुरुआत में छोटे स्टेप्स लेना जरूरी है।
धीरे-धीरे शुरुआत करें- पहले 12:12 पैटर्न (12 घंटे फास्ट, 12 घंटे भोजन) से शुरू करें और फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएँ।
पानी और हाइड्रेशन पर ध्यान दें- फास्टिंग के दौरान खूब पानी पिएँ, हर्बल टी या ब्लैक कॉफी भी ले सकती हैं।
पौष्टिक आहार चुनें- खाने के समय में जंक फूड या तैलीय भोजन न करें। सब्जियां, फल, प्रोटीन और साबुत अनाज का सेवन करें।
नींद पूरी करें- पर्याप्त नींद इंटरमिटेंट फास्टिंग के असर को और बेहतर बनाती है।
डॉक्टर की सलाह लें- यदि आपको पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो यह कदम विशेषज्ञ की देखरेख में ही उठाएं।
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