गर्मी के दिनों में कुछ चीजें बेहद जरूरी हो जाती हैं, जैसे बाहर निकलने से पहले टोपी, रुमाल या सनग्लासेस यानि धूप का चश्मा या फिर गॉगल्स कह लीजिए। जब आप सनग्लास खरीदने जाते हैं, तो क्या देखत हैं? उसके शीशों का रंग, आकार, फ्रेम आदि की बनावट? ये सारी बातें चश्मा पहनने वाले की छवि के लिहाज से तो ठीक है।
लेकिन धूप के चश्मे का चयन करते समय इनके अलावा और भी बहुत-सी बातों पर ध्यान देना चाहिए। उनमें से मुख्य हैं- इनसे अल्ट्रावॉयलेट किरणों का आंखों पर कितना कम असर पड़ेगा आदि। जानिए ऐसी ही और भी बातें, जो धूप का चश्मा चुनते वक्त आपको जरूर पता होनी चाहिए -
1 क्या आप जानते हैं शीशों की क्वॉलिटी -
जब भी कोई व्यक्ति चश्मे वाले की दुकान पर चश्मा खरीदने जाता है तो उसका 90 प्रतिशत समय धूप के चश्मे का ऐसा फ्रेम चुनने में निकल जाता है, जो उसके चेहरे पर सबसे ज्यादा अच्छा लगे। जैसे ही फ्रेम पसंद आया, ज्यादा कुछ देखे-भाले बिना शीशों की क्वॉलिटी जांचने में शायद ही कोई समय लगाता हो।
ये शीशे किस चीज के और कैसे बनाए जाते हैं, आम लोगों को इसकी जानकारी बहुत कम होती है। क्या आपने चश्मे वाले से कभी यह पूछा है कि चश्मे के शीशे अल्ट्रावॉयलेट किरणों को कितना रोक सकते हैं? अगर नहीं, तो आगे से ये भी जरूर पता किजीएं।
2 जानिए धूप के चश्मों के शीशों के प्रकार -
धूप के चश्मों के शीशे कई प्रकार के होते हैं, जैसे इंडेक्स प्लास्टिक्स, ग्रेडियेन्ट टिन्ट, फोटोक्रोमेटिक्स और पॉलीकार्बोनिट्स।
इन्हें खरीदने से पहले इनके बारे में कुछ जानकारी अवश्य प्राप्त कर लेनी चाहिए। सबसे अच्छा तो यह है कि सड़क किनारे या पटरियों पर बिकने वाले चश्मे नहीं खरीदने चाहिए, क्योंकि उनके शीशे अच्छी किस्म के नहीं होते हैं और शीशे के पार सामने वाली छवि भी धुंधली नजर आती है। इन चश्मों के फ्रेम भी अक्सर ठीक से फिट नहीं होते हैं और आंखों के सामने ज्यादा समय तक जमीन के समानांतर नहीं रह पाते हैं। इसके कारण सिर में बार-बार दर्द होता है।
3 धूप के चश्मे किस चीज के बनते हैं?
सभी प्रकार के लैंसों में शीशे का लैंस सबसे ज्यादा सख्त और मजबूत होता है। चश्मा बनने में सबसे ज्यादा इसी चीज का इस्तेमाल किया जाता है। शीशे का सबसे बड़ा नुक्स इसका वजन है। जो लोग बड़े फ्रेम का चश्मा लगाना चाहते हैं, उन्हें यह शिकायत रहती है कि भारी शीशों की वजह से उनकी नाक के दोनों ओर दर्द होने लगता है।
* फोटोक्रोमिक लैंस -
फोटोक्रोमिक लैंस शीशे से अच्छे बनते हैं। जब आप इन्हें पहनकर चमकदार धूप में बाहर निकलते हैं तो इनका रंग गहरा हो जाता है और जैसे ही आप अंधियारे या छाया में आते हैं, ये सामान्य हो जाते हैं।
* प्लास्टिक्स -
प्लास्टिक्स लैंस शीशे से बने लैंसों से हल्के होते हैं इसीलिए आज की पीढ़ी इन्हीं को पसंद करती है। फिर भी शीशे के लैंस के मुकाबले प्लास्टिक के लैंस पर खरोंच जल्दी पड़ जाती है।
* पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक -
असल में ये लैंस परंपरागत प्लास्टिक लैंसों के मुकाबले ज्यादा हल्के और न टूटने वाले होते हैं। 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और जो लोग खेलों में भाग लेते हैं या किसी खतरनाक उद्योग में काम करते हैं, उनके लिए इन चश्मों की सिफारिश की जाती है।
4 पॉलीकार्बोनेट प्लास्टिक के क्या है नुक्स -
इनमें एक ही नुक्स है कि प्लास्टिक्स के दूसरे लैंसों के मुकाबले इन लैंसों में खरोंच ज्यादा आसानी से पड़ जाती है। खरोंचों से बचाने का एक ही रास्ता है इन पर खरोंचों से बचाने वाले रसायन की परत चढ़ा दी जाए।
पॉलीकार्बोनेट लैंसों में रिफ्रेक्टिव इंडेक्स बहुत ऊंचा होता है अर्थात परंपरागत प्लास्टिक लैंसों के मुकाबले लैंस सूर्य की किरणों को ज्यादा मोड़ सकते हैं। इसलिए पॉलीकार्बोनेट से अधिक शक्तिशाली लैंस पतले बनाए जा सकते हैं।