harivansh rai bachchan हरिवंशराय बच्चन जी ने अपने लेखन में कई कविताएं, आत्मकथा और अन्य कई विविध रचनाएं लिखीं, जिनमें खास तौर 'क्या भूलूं क्या याद करूं (1969), नीड़ का निर्माण फिर (1970), बसेरे से दूर (1977), दशद्वार से सोपान तक (1965) और बच्चन रचनावली के नौ खंड जो उन्होंने 1983 में लिखे थे।
इसके अलावा में उनके विविध लेखन और कविताओं में तेरा हार (1932), बचपन के साथ क्षण भर (1934), मधुशाला (1935), मधुबाला (1936), मधुकलश (1937), निशा निमंत्रण (1938), खय्याम की मधुशाला (1938), एकांत संगीत (1939), आकुल अंतर (1943), सतरंगिनी (1945), हलाहल (1946), बंगाल का काव्य (1946), खादी के फूल (1948), सूत की माला (1948), मिलन यामिनी (1950), सोपान (1953), प्रणय पत्रिका (1955), धार के इधर-उधर (1957), मैकबेथ (1957), जनगीता (1958), आरती और अंगारे (1958), बुद्ध और नाचघर (1958), ओथेलो (1959), उमर खय्याम की रुबाइयां (1959), कवियों के सौम्य संत: पंत (1960), आज के लोकप्रिय हिन्दी कवि: सुमित्रानंदन पंत (1960), आधुनिक कवि (1961), नेहरू: राजनैतिक जीवन चित्र (1961), त्रिभंगिमा (1961), चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962), नए-पुराने झरोखे (1962), अभिनव सोपान (1964), चौसठ रूसी कविताएं (1964), दो चट्टानें (1965), बहुत दिन बीते (1967), कटती प्रतिमाओं की आवाज (1968), डब्लू बी यीट्स एंड औकल्टिज्म (1968), मरकट द्वीप का स्वर (1968), नागर गीत) (1966), बचपन के लोकप्रिय गीत (1967), हैमलेट (1969), उभरते प्रतिमानों के रूप (1969), भाषा अपनी भाव पराए (1970), पंत के सौ पत्र (1970) प्रवास की डायरी (1971), जाल समेटा (1973)' टूटी छूटी कड़ियां (1973), मेरी कविताई की आधी सदी (1981), सोहं हंस (1981), आठवें दशक की प्रतिनिधि श्रेष्ठ कविताएं (1982), मेरी श्रेष्ठ कविताएं (1984) आदि लेखन और कविताओं में हरिवंश राय बच्चन की सबसे लोकप्रिय कविता 'मधुशाला' रही।