गुजरात में सरकार बनने के बाद भी भाजपा की राह कठिन
गुजरात में भाजपा ने विधानसभा चुनाव में बहुमत तो हासिल कर लिया है, लेकिन कांग्रेस हारकर भी आत्मविश्वास से भरी हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा के लिए आने वाला समय मुश्किल भरा हो सकता है।
पिछले साल पाटीदार अनामत आंदोलन और दलित आंदोलन के चलते दो युवा चहेरे नेता बनकर उभरे। हार्दिक पटेल ओर जिग्नेश मेवाणी ने भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर मोर्चा लिया। तीसरे चेहरे अल्पेश ठाकोर ने ओबीसी के समर्थन में और शराब के खिलाफ आवाज उठाई। इस तिकड़ी ने राज्य सरकार को परेशान किया।
चुनाव के आखरी समय तक इन तीनों ने भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए दमखम लगा दिया था, लेकिन जिग्नेश और अल्पेश तो विधानसभा पहुंच गए, लेकिन हार्दिक उम्र कम होने की वजह से चूक गए। अब बहुमत प्राप्त करके सरकार बनाने वाली भाजपा को पुराने विरोधियों का सामना करना पड़ेगा। जिग्नेश और अल्पेश जहां सरकार को सामाजिक मुद्दों पर सदन में घेरेंगे, वहीं हार्दिक सड़क पर सरकार का विरोध जारी रखनेंगे।
ऐसा माना जा रहा है कि अल्पेश कांग्रेस के साथ है किन्दु जिग्नेश निर्दलीय होने के नाते सरकार के साथ ही कांग्रेस का भी विरोध कर सकता है। वह अपने समुदाय की लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक जारी रखेगा। बताया जा रहा है कि हार्दिक फिर से आंदोलन शुरू कर सरकार की नींद उड़ा सकता है। इतना तो तय है कि इस बार राज्य की भाजपा सरकार के लिए इस राह आसान नहीं होगी।
जिग्नेश कलेक्टर के पास पहुंचे : गुजरात में विधायक एक तरफ जहां जीत के जश्न में डूबे हैं, वहीं वडगांव से विधायक बने जिग्नेश मेवाणी ने तो परिणाम के अगले दिन ही काम शुरू कर दिया। जिग्नेश ने मंगलवार को क्षेत्र के गांवों में सड़कें बनाने के लिए कलेक्टर को आवेदन दिया है। आवेदन के साथ मेवाणी ने यह भी कहा है कि यह काम 15 दिन में शुरू नहीं हुआ तो बहुत बड़ा आंदोलन शुरू होगा। वडगाम के 15 गांव ऐसे हैं, जहां रोड नहीं है। सड़कों की हालत ऐसी है कि वहां एम्बुलेंस भी नहीं जा सकती।