क्या सौराष्ट्र में नरेन्द्र मोदी को ले डूबेगा पानी?
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में पानी का संकट इस बार के विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा है क्योंकि लोग इस समस्या को लेकर पिछले 10 साल से कुछ नहीं किए जाने से खासे नाराज हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस क्षेत्र में पानी के संकट का मुद्दा मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए बड़ा संकट खड़ा करने वाला है।सौराष्ट्र एक ऐसा क्षेत्र है जहां कोई बारहमासी नदी नहीं है और यहां औसत बारिश भी होती है। इस कारण यह क्षेत्र वर्षों से जल संकट का सामना करना पड़ेगा।राजकोट के जेतपुर कस्बे के निवासी सिंधभाई मवादिया है, 'सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे को हल करने को लेकर गंभीर नहीं है। क्षेत्र में पीने के पानी और सिंचाई के पानी का घोर संकट है।'सौराष्ट्र क्षेत्र के शहरों और गांवों में रहने वाले बहुत सारे लोगों का मानना है कि जल संकट के स्थायी समाधान को लेकर राज्य सरकार ने कुछ नहीं किया है। इस क्षेत्र में सात जिले राजकोट, जूनागढ़, भावनगर, पोरबंदर, जामनगर, अमरेली और सुरेंद्र नगर हैं। इनमें पानी की सीमित आपूर्ति हो पाती है।भावनगर, राजकोट, जामनगर, जूनागढ़ और सुरेंद्र नगर के निवासियों को एक दिन के अंतराल पर पानी मिलता है, हालांकि वह भी सिर्फ 20 से 30 मिनट के लिए पानी आता है। छोटे शहरों और गांवों में हालत ज्यादा खराब है। गरियाधार में हर तीसरे दिन पानी आता है तो सिहोर में लोगों को हर दूसरे दिन पानी मिलता है।सौराष्ट्र और कच्छ में विधानसभा की 54 सीटें हैं, जबकि पूरे राज्य में 182 सीटे हैं। गुजरात में सरकार बनाने के लिए सौराष्ट्र का क्षेत्र में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।इन सीटों के लिए 13 दिसंबर को चुनाव होगा। राज्य में दो चरणों में चुनाव हो रहा है। पहला चरण 13 दिसंबर, जबकि दूसरा चरण 17 दिसंबर होगा।उधर, नर्मदा बांध परियोजना के नहर नेटवर्क का निर्माण भी बड़ी धीमी गति से हो रहा है। इसे राज्य की जीवनरेखा के रूप में देखा जा रहा है। (भाषा)