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Written By WD

अमृत वचन

Vivekanand premchand | अमृत वचन
वास्तव में शिक्षा मूलत: ज्ञान के प्रसार का एक माध्यम है। चिंतन तथा परिप्रेक्ष्य के प्रसार का एक तरीका है। एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जीवन के सही मूल्यों कोआने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करना है। - सदाशिव माधव गोलवलकर (पूजनीय श्री गुरु जी)

मनुष्य में जो संपूर्णता सुप्त रूप से विद्यमान है। उसे प्रत्यक्ष करना ही शिक्षा का कार्य है। - स्वामी विवेकानंद

मनुष्य का सर्वांगीण विकास करना ही शिक्षा का मूल उद्देश्य है। - प्रो. राजेंद्र सिंह उपाख्य (रज्जू भैया)

सज्जनों से की गई प्रार्थना कभी निष्फल नहीं जाती। - कालिदास

किसी से शत्रुता करना अपने विकास को रोकना है। - विनोबा भावे

रिश्वत और कर्तव्य दोनों एक साथ नहीं निभ सकते। - प्रेमचं

युवकों की शिक्षा पर ही राज्यों का भाग्य आधारित है। - अरस्तू

तुम दूसरों के प्रति वैसा ही व्यवहार करो। जैसा तुम अपने प्रति चाहते हो। - जॉन लॉक

बिना उत्साह के कभी किसी महान लक्ष्य की प्राप्ति नहीं होती। - एमर्स

संकलन : कु. शिवानी ठाकुर