• Webdunia Deals
  1. धर्म-संसार
  2. व्रत-त्योहार
  3. जय गंगा मां
  4. Ganga nadi ki utpatti kaise hui
Written By
Last Modified: बुधवार, 26 अप्रैल 2023 (15:32 IST)

Ganga saptami : गंगा नदी की उत्पत्ति कब और कहां से हुई? 10 तथ्य

Ganga saptami : गंगा नदी की उत्पत्ति कब और कहां से हुई? 10 तथ्य - Ganga nadi ki utpatti kaise hui
Story of origin of Ganga : भारत में बहने वाली पवित्र नदियों में गंगा का स्थान सबसे ऊपर माना गया है। इसके बाद सिंधु, सरस्वती, यमुना, नर्मदा, कावेरी, कृष्णा, गोदावरी, महानदी, ताप्ती, सरयू, शिप्रा, झेलम, ब्रह्मपुत्र आदि का नाम आता है। आखिकर गंगा नदी की उत्पत्ति कब और कहां हुई थी। जानिए गंगा नदी से जुड़े 10 खास प्रमाण या तथ्‍य।
 
1. गंगा का उद्गम दक्षिणी हिमालय में तिब्बत सीमा के भारतीय हिस्से से होता है। गंगोत्री को गंगा का उद्गम माना गया है। किंतु वस्तुत: उनका उद्गम 18 मील और ऊपर श्रीमुख नामक पर्वत से है। वहां गोमुख के आकार का एक कुंड है जिसमें से गंगा की धारा फूटी है। 3,900 मीटर ऊंचा गौमुख गंगा का उद्गम स्थल है। इस गोमुख कुंड में पानी हिमालय के और भी ऊंचाई वाले स्थान से आता है।
 
2. गोमुख से निकलकर गंगा कई धाराओं में विभक्ति होकर कई नाम से जानी जाती है। प्रारंभ में यह हिमालय से निकलकर गंगा 12 धाराओं में विभक्त होती है। इसमें मंदाकिनी, भगीरथी, ऋषिगंगा, धौलीगंगा, गौरीगंगा और अलकनंदा प्रमुख है। यह नदी प्रारंभ में 3 धाराओं में बंटती है- मंदाकिनी, अलकनंदा और भगीरथी। गंगोत्री में गंगाजी को समर्पित एक मंदिर भी है।
 
3. ब्रह्मा से लगभग 23वीं पीढ़ी बाद और राम से लगभग 14वीं पीढ़ी पूर्व भगीरथ हुए। भगीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था। इससे पहले उनके पूर्वज सगर ने भारत में कई नदी और जलराशियों का निर्माण किया था। उन्हीं के कार्य को भगीरथ ने आगे बढ़ाया। पहले हिमालय के एक क्षेत्र विशेष को देवलोक कहा जाता था।
 
4. पौराणिक मान्यता के अनुसार गंगा देवी के पिता का नाम हिमालय है जो पार्वती के पिता भी हैं। गंगा ने अपने दूसरे जन्म में ऋषि जह्नु के यहां जन्म लिया था। एक अन्य कथा के अनुसार गंगा पर्वतों के राजा हिमवान और उनकी पत्नी मीना की पुत्री हैं, इस प्रकार वे देवी पार्वती की बहन भी हैं। कुछ जगहों पर उन्हें ब्रह्मा के कुल का बताया गया है।
 
6. यह भी कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु ने वामन रूप में अपना एक पैर आकाश की ओर उठाया तो तब ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु के चरण धोकर जल को अपने कमंडल में भर लिया। भगवान विष्णु के अंगूठे से गंगा प्रकट हुई अतः उसे विष्णुपदी कहां जाता है। बाद में यह ब्रह्माजी के कमंडल से निकलकर धरती पर आई।
7. भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने गंगा की धारा को अपने कमंडल से छोड़ा। तब भगवान शंकर ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेटकर जटाएं बांध लीं। बाद में भगीरथ की आराधना के बाद उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं से मुक्त कर दिया। 
 
8. देवप्रयाग में अलकनंदा और भगीरथी का संगम होने के बाद यह गंगा के रूप में दक्षिण हिमालय से ऋषिकेश के निकट बाहर आती है और हरिद्वार के बाद मैदानी इलाकों में प्रवेश करती है।
 
9. हरिद्वार को गंगा का द्वार भी कहा जाता है। यहां से निकलकर गंगा आगे बढ़ती है। इस बीच इसमें कई नदियां मिलती हैं जिसमें प्रमुख हैं- सरयू, यमुना, सोन, रामगंगा, गोमती, घाघरा, गंडक, बूढ़ी गंडक, कोसी, घुघरी, महानंदा, हुगली, पद्मा, दामोदर, रूपनारायण, ब्रह्मपुत्र और अंत में मेघना। फिर यहां से निकलकर गंगा निकल गंगा पश्चिम बंगाल के गंगासागर बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
 
10. यह नदी 3 देशों के क्षे‍त्र का उद्धार करती है- भारत, नेपाल और बांग्लादेश। नेपाल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल और फिर दूसरी ओर से बांग्लादेश में घुसकर यह बंगाल की खाड़ी में समा जाती है।
ये भी पढ़ें
मां बगलामुखी की पूजा से क्या फल मिलता है?